बजट पर चर्चा: एग्री एक्‍सपर्ट्स संग वित्त मंत्री की बैठक, भेड़-बकरी पालन को बढ़ावा देने और यूरिया सब्‍सिडी कटौती पर हुई चर्चा!

बजट पर चर्चा: एग्री एक्‍सपर्ट्स संग वित्त मंत्री की बैठक, भेड़-बकरी पालन को बढ़ावा देने और यूरिया सब्‍सिडी कटौती पर हुई चर्चा!

आईसीएफए के अध्‍यक्ष डॉ. एमजे खान ने बताया कि यूरिया केंद्रित उर्वरक सब्सिडी मिट्टी को खराब कर रही है. डॉ खान ने बताया कि उन्‍होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सब्‍सिडी वाली यूरिया की कटौती करने और P (फाॅस्‍फोरस) और K (पोटेशियम) उर्वरक को अधिक आवंटित करने की मांग की है.

पूरक बजट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्‍य मंत्री पंकज चौधरी ने कृषि विशेषज्ञों से बातचीत कीपूरक बजट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्‍य मंत्री पंकज चौधरी ने कृषि विशेषज्ञों से बातचीत की
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Jun 22, 2024,
  • Updated Jun 22, 2024, 8:12 PM IST

मोदी सरकार 3.0 एक्‍टिव मोड़ में आ गई है. इसी कड़ी में साल 2024-25 के पूरक बजट की तैयारियां भी वित्त मंत्रालय ने शुरू कर दी हैं. इसको लेकर इन दिनाें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्‍य मंत्री पंकज चौधरी ने तमाम स्‍टेक होल्‍डर से विचार विमर्श कर रहे हैं. इसी कड़ी में बीते रोज पूरक बजट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी टीम के साथ ही कृषि विशेषज्ञों से बातचीत की है, जिसमें कृषि विशेषज्ञों ने बजट में छोटे किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए भेड़-बकरी पालन मिशन शुरू करने, एग्री रिसर्च पर खर्च बढ़ाने, नई कृषि नीति बनाने और यूरिया सब्‍सिडी में कटौती करने की मांग की है. आइए समझते हैं कि एग्री एक्‍सपर्ट ने वित्त मंत्रालय को पूरक बजट के लिए कृषि से जुड़े कौन से सुझाव दिए हैंं

ICAR का रिसर्च फंड बढ़ाया जाए

वित्त मंत्री के साथ पूरक बजट को लेकर हुई एक्‍सपर्ट बैठक में बतौर एग्री एक्‍सपर्ट  आईसीएफए के अध्‍यक्ष डॉ. एमजे खान भी शामिल हुए. डाॅ खान ने बताया कि उन्‍होंने वित्त मंत्री से इस पूरक बजट में एग्री रिसर्च पर जोर देने के लिए ICAR का बजट 9500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20000 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया है. साथ ही एग्री सेक्‍टर में रिसर्च करने वाले प्राइवेट सेक्‍टर को टैक्‍स छूट देने का सुझाव भी उन्‍होंने दिया है.

यूरिया केंद्रित उर्वरक सब्सिडी मिट्टी को खराब कर रही

आईसीएफए के अध्‍यक्ष डॉ. एमजे खान ने बताया कि पूरक बजट को लेकर हुई बैठक में उन्‍होंने यूरिया से मिट्टी को हो रहे नुकसान के बारे में वित्त मंत्री को बताया है. उन्‍होंने कहा कि यूरिया केंद्रित उर्वरक सब्सिडी मिट्टी को खराब कर रही है. इस संबंध में उन्‍होंने सब्‍सिडी वाले यूरिया की कटौती करने और P (फाॅस्‍फोरस) और K (पोटेशियम) उर्वरक को अधिक आवंटित करने की मांग की है. इससे किसानों के साथ ही मिट्टी को फायदा होगा. इसके साथ ही उन्‍होंने जैव उर्वरकों को भी सब्सिडी के दायरे में लाने की मांग की है.

राज्‍य स्‍तर पर स्‍थापित किए जाएं कमोडिटी बोर्ड 

पूरक बजट को लेकर एग्री एक्‍सपर्ट के साथ ही हुई चर्चा के बारे में आईसीएफए के अध्‍यक्ष डॉ. एमजे खान ने बताया कि किसानों और देश की एग्री सेक्‍टर की मजबूती के लिए इंपोर्ट को बढ़ावा देना आवश्‍यक है. डॉ खान ने बताया कि इस संबंध का हवाला देते हुए उन्‍होंने 2029-30 तक एग्री इंपोर्ट को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लिए एपीडा बजट को बढ़ाकर 800 करोड़ रुपये सालाना करने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही इंपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए लिए निजी क्षेत्र के सहयोग से राज्यों और राष्ट्रीय स्तर पर कमोडिटी बोर्ड स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता देने का सुझाव भी दिया है. डाॅ खान के मुताबिक उन्‍होंने बैठक में कृषि उत्‍पादों में जीएसटी सुधार की वकालत करते हुए जीएसटी की दर 18 फीसदी से 5 फीसदी करने की मांग वित्त मंत्री से की है.

औषधीय पौधों-बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए 3 हजार करोड़ की मांग

आईसीएफए के अध्‍यक्ष डॉ. एमजे खान ने बताया कि पूरक बजट को लेकर वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में उन्‍होंने छोटे किसानों को ध्‍यान में रखते हुए 1000 करोड़ रुपये के बजट के साथ राष्ट्रीय बकरी और भेड़ मिशन की स्थापना करने का सुझाव दिया है. तो वहीं औषधीय पौधों के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2000 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के साथ चरक मिशन की स्थापना करने का सुझाव उन्‍होंने दिया है. 

नई कृषि नीति बनाने की मांग

वित्त मंत्री के साथ पूरक बजट को लेकर हुई एक्‍सपर्ट बैठक में भारत कृषक समाज के चैयरमैन अजय जाखड़ ने देश में नई कृषि नीति बनाने की मांग की है. अंग्रेजी अखबार बिजनेश लाइन की रिपोर्ट के अनुसार अजय जाखड़ ने बैठक में कहा कि देश के 85 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्‍टेयर तक जमीन है. वहीं देश की नीतियां कृषि उत्‍पादों को नियंंत्रित करने की है. ऐसे में किसानों को उनकी फसलों का दाम कैसे मिलेगा. उन्‍होंने कहा कि समस्‍यों का सटीक समाधान संभव नहीं है. बजट में इस परेशानी पर जरूर चिंतन होना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि लंबे समय से देश में कोई कृषि नीति नहीं है. उन्‍होंने वित्त मंंत्री को देश में नई कृषि नीति बनाते हुए उसे लागू करने का सुझाव दिया है.

 

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