अंतरिम बजट में किसानों के लिए कई बड़े एलान किए जाने की उम्मीद है. लेकिन सरकार का फोकस केवल किसानों को ही फायदा पहुंचाने तक सीमित नहीं रहेगा. बल्कि किसानों की उपज को लोगों तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया को आसान बनाने पर होगा, जिससे ग्राहकों को भी खाने पीने के सामान की महंगाई से निजात मिल सके. लेकिन महंगाई कम करने के लिए किसान को मिलने वाली रकम से कटौती नहीं की जाएगी. बल्कि, भंडारण से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक को आसान बनाकर ये काम किया जा सकता है.
अनुमान जताया जा रहा है कि अंतरिम बजट में 2024-25 के लिए कृषि कर्ज लक्ष्य को 22 से 25 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का एलान किया जा सकता है. 2023-24 के लिए सरकार का कृषि लोन टारगेट 20 लाख करोड़ रुपये है. इसके साथ ही ये भी तय किया जाएगा कि हर किसान की संस्थागत लोन तक पहुंच हो जाए. कृषि लोन के लिए आवंटन बढ़ाए जाने के साथ ही सरकार सस्ता कर्ज मुहैया कराने की योजना को भी जारी रखेगी.
फिलहाल सभी वित्तीय संस्थानों से मिलने वाले 3 लाख रुपये तक के शॉर्ट टर्म लोन पर 2 फीसदी की ब्याज छूट मिलती है. यानी किसानों को 7 फीसदी की रियायती दर पर शॉर्ट टर्म के लिए लोन मिल जाता है. यही नहीं समय पर कर्ज का भुगतान करने वाले किसानों को हर साल 3 फीसदी की अतिरिक्त ब्याज छूट भी मिलती है. हालांकि, लॉन्ग टर्म लोन पर इंटरेस्ट रेट बाजार दर के मुताबिक ही मिलता है. अब सरकार कृषि-लोन पर ज्यादा ध्यान दे रही है और छूटे हुए पात्र किसानों की पहचान करने और उन्हें लोन नेटवर्क का हिस्सा बनाने के लिए कई अभियान चला रही है.
बीते 10 साल से कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए कर्ज वितरण लक्ष्य से ज्यादा रहा है. 2023-24 में दिसंबर तक 9 महीनों के दौरान 20 लाख करोड़ रुपये के कृषि लोन टारगेट का 82 फीसदी हासिल कर लिया गया है. इन 9 महीनों में निजी और सरकारी बैंकों ने करीब 16.37 लाख करोड़ रुपये का लोन बांटा है. ऐसे में अनुमान है कि 2023-24 में भी कृषि लोन लक्ष्य से ज्यादा रह सकता है.
कृषि लोन को लेकर 2022-23 के आंकड़े भी कुछ मौजूदा कारोबारी साल जैसी तस्वीर ही पेश कर रहे हैं. इनके मुताबिक 2022-23 में कुल 21.55 लाख करोड़ रुपये का कृषि लोन बांटा गया था. ये उस साल के साढ़े 18 लाख करोड़ रुपये के कृषि लोन के लक्ष्य से कहीं ज्यादा था. अभी तक किसान क्रेडिट कार्ड के नेटवर्क के माध्यम से 7.34 करोड़ किसानों को कर्ज मिला है. इन पर 31 मार्च 2023 तक करीब 8.85 लाख करोड़ रुपये बकाया था.
लेकिन कृषि क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने में केवल कर्ज मुहैया करा देना मददगार नहीं हो सकता. इसके लिए एग्री सेक्टर को दूसरी सेक्टर्स की तरह आधुनिक बनाना होगा. (आजतक ब्यूरो)
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