झारखंड के चुनावी मैदान में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का फ्लॉप शो, भांजे-भांजी का फॉर्मूला फेल हुआ 

झारखंड के चुनावी मैदान में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का फ्लॉप शो, भांजे-भांजी का फॉर्मूला फेल हुआ 

भाजपा के लिए चुनाव प्रभारी रहे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के लिए झारखंड की हार बड़े फेल्योर के रूप में देखी जा रही है. मतगणना से पहले उन्होंने जीत का दावा किया था और कहा था कि उन्होंने झारखंड को पांव-पांव नापा है और वह जानते हैं कि पार्टी की जीत तय है. चुनाव के लिए उन्होंने कई विभागीय कार्यक्रमों को भी टाला, कई में पहुंच नहीं पाए.

बीजेपी को लगातार दूसरी बार झारखंड में हार मिली है.बीजेपी को लगातार दूसरी बार झारखंड में हार मिली है.
रिजवान नूर खान
  • Noida,
  • Nov 23, 2024,
  • Updated Nov 23, 2024, 7:04 PM IST

झारखंड विधानसभा चुनाव के आ रहे रुझानों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठबंधन की जीत तय हो गई है. यहां भाजपा के गठबंधन की करारी हार ने उनकी चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. राज्य में भाजपा के चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान का शो फ्लॉप हो गया है. मध्य प्रदेश की तरह मामा-भांजे का उनका फॉर्मूला यहां झारखंड में फेल हो गया है. 3 महीने से उन्होंने झारखंड को पांव-पांव नाप दिया, विभागीय कार्यों को टाल दिया, लेकिन पार्टी को बहुमत के पार नहीं ले जा पाए. लेकिन, भाजपा लगातार दूसरी बार झारखंड की सत्ता पाने से रह गई है.

झारखंड विधानसभा चुनाव नतीजों पर खबर लिखे जाने तक हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन 55 सीट के साथ आगे चल रहा है, जो बहुमत के लिए जरूरी 41 सीट से 14 सीट अधिक है. झारखंड में हेमंत सोरेन प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी कर रहे हैं, ये भी अपने आप में अभूतपूर्व है, क्योंकि लगातार 5 साल सत्ता के दौरान उनके ऊपर तमाम तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी आदिवासी छवि को जनता ने स्वीकारा है और जिस तरह से उन्हें सीएम रहते हुए जेल भेजा गया और बाद में चंपाई सोरेन को तोड़ा गया. इन सब घटनाओं से वोटर्स के मन में हेमंत सोरेन के लिए सहानुभूति पैदा हुई जो वोट में बदल गई. 

बीजेपी को लगातार दूसरी बार झारखंड में मिली हार

भाजपा गठबंधन 25 सीटों पर ठिठक गया है. भाजपा 2019 में हासिल सीटों से भी पीछे खिसक गई है. राज्य में भाजपा के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के लिए यह हार बड़े फेल्योर के रूप में देखी जा रही है. मतगणना से पहले उन्होंने जीत का दावा किया था और कहा था कि उन्होंने झारखंड को पांव-पांव नापा है और वह जानते हैं कि पार्टी की जीत तय है. उन्होंने कहा था कि उनसे बड़ा सर्वेयर कौन है. बीजेपी को लगातार दूसरी बार झारखंड में हार मिली है, बड़ा सबक बनेगी.  

झारखंड नतीजे साख को नुकसान पहुंचा सकते हैं 

झारखंड की हार ने जहां भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया तो वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री की साख पर भी चोट पहुंचाई है. जानकारों का कहना है कि झारखंड की यह करारी हार शिवराज सिंह चौहान के लिए काफी निराशाजनक होगी. क्योंकि, उनकी नाम की चर्चा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने को लेकर भी चल रही थी, जिस पर विराम लग सकता है. कहा जा रहा है कि झारखंड के नतीजे सीधे सीधे उनकी हनक को भी प्रभावित कर सकते हैं. 

किसानों से जुड़े कार्यक्रमों को समय नहीं दे पाए 

झारखंड चुनावों में पार्टी को जिताने के लिए कृषि मंत्री 3 महीने तक राज्य में मौजूद रहे और करीब दो दर्जन से ज्यादा रैलियां, जनसभाएं कर डालीं. झारखंड चुनाव के लिए उन्होंने अपने विभागीय कार्यों को भी टाल दिया है. किसानों से हर मंगलवार को संवाद कार्यक्रम में भी वो कई बार नहीं पहुंच पाए. जबकि, किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए उनके महत्वाकांक्षी कार्यक्रम किसान रेडियो संवाद कार्यक्रम को भी वह कम समय दे पाए. 

कहा था- जनता की आंखों में परिवर्तन की ललक देखी 

झारखंड मतदान से पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि झारखंड में हमसे बड़ा सर्वेयर कौन हो सकता है. 3 महीने से लगातार झारखंड में हैं, पांव पांव झारखंड नापा है,  जनता की आंखों में परिवर्तन की ललक देखी है , मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह रहा हूं झारखंड की तस्वीर और तकदीर बदलने के लिए जनता ने भारतीय जनता पार्टी एनडीए को वोट किया है और शानदार बहुमत प्राप्त करके हम सरकार बनाने जा रहे हैं. लेकिन, उनकी मेहनत मनचाहे परिणामों में नहीं बदल पाई है. 

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