महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन महायुति ने महाजीत हासिल की है. 288 विधानसभा सीटों में से 230 सीटों पर आगे चल रही है, जो बहुमत के आंकड़े 145 से 85 सीट आगे पहुंच गई है. यहां विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी 51 सीट पर आकर ठिठक गई है. महाराष्ट्र में भाजपा अकेले 133 सीट जीतने की ओर बढ़ रही है, जो अभूतपूर्व है. भाजपा के इस प्रदर्शन में किसानों की बड़ी भूमिका उभरकर सामने आई है. चुनाव के दौरान कपास और सोयाबीन के दाम और खरीद को लेकर किए गए ऐलान ने किसानों को वोट में बदल दिया. अधिक नमी के स्तर के साथ सोयाबीन की खरीद, कपास के दाम बढ़ाने, महिलाओं के लिए लाडकी बहिण योजना समेत कई बड़े ऐलान किसानों को अपनी ओर झुका ले गए.
महाराष्ट्र चुनाव के दौरान सोयाबीन और कपास कीमतों का मुद्दा गरमाया रहा. कांग्रेस ने 10 साल से सोयाबीन का दाम नहीं बढ़ाए जाने को लेकर महायुति सरकार को कटघरे में खड़ा किया. तो कांग्रेस के हमले को जवाब देने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोयाबीन का दाम बढ़ाने की घोषणा कर दी. जबकि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोयाबीन की खरीद के लिए मानक 12 फीसदी नमी के स्तर को बढ़ाकर 15 फीसदी तक कर दिया. इससे सोयाबीन किसानों को मंडियों में कई दिन तक फसल डाले रखने से छुटकारा मिला और 15 फीसदी तक नमी वाली उनकी उपज मंडियों में एमएसपी रेट पर खरीदी गई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र चुनाव के दौरान एक जनसभा में सोयाबीन किसानों के लिए बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को 6000 रुपये करेंगे. इस ऐलान ने सोयाबीन किसानों पर सकारात्मक प्रभाव डाला. वर्तमान में सोयाबीन का एमएसपी दाम 4892 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले सीजन की तुलना में 292 रुपये बढ़ाई गई है. विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र सोयाबीन की खेती के लिए विशेष रूप से अहम है. इतना ही नहीं, सोयाबीन किसानों को उनकी उपज सही दाम दिलाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री ने मलेशिया, इंडोनेशिया से खाद्य तेलों के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 27.5 फीसदी कर दी. इससे ट्रेडर्स पर घरेलू किसानों की उपज खरीदने का दबाव बना.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाराष्ट्र के कपास और सोयाबीन उत्पादकों को सीधे बैंक खादे में 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त राशि देने की घोषणा की. इस ऐलान से सोयाबीन और कपास किसानों के चेहरे खिल गए. बता दें कि राज्य में दोनों फसलें उगाने वाले किसानों की संख्या सर्वाधिक है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने भावांतर भुगतान योजना की भी घोषणा की. इस योजना के जरिए किसानों को एमएसपी और बाजार दर के बीच होने वाले अंतर की भरपाई की जाएगी. इसके अलावा उपज की परिवहन लागत भी सरकार ने वहन का ऐलान किया है.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से महिलाओं के लिए लाडकी बहिण योजना की घोषणा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं पर बड़ा असर डालने वाली साबित हुई है. एकनाथ शिंदे सरकार ने महिलाओं के लिए लाडकी बहिण योजना को चुनाव से कुछ वक्त पहले ही लागू किया था. सरकार ने योजना को लाभार्थी महिलाओं तक तेजी से पहुंचाने के लिए तेज स्पीड में काम किया और चुनाव से पहले तक महिलाओं को कवर कर लिया. इस योजना से महिलाओं का झुकाव महायुति की ओर हो गया.