हरियाणा में BJP तो जम्मू-कश्मीर में NC की सरकार, कांग्रेस और AAP को सबसे बड़ा झटका

हरियाणा में BJP तो जम्मू-कश्मीर में NC की सरकार, कांग्रेस और AAP को सबसे बड़ा झटका

हरियाणा में बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए जीत दर्ज की है. इसके पीछे कुछ बड़ी वजहें हैं. जानकार बताते हैं कि इस चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का चेहरा आगे रखा गया जिसका अच्छा असर लोगों के बीच गया. सैनी ने अपनी मिलनसार छवि को आगे किया और खट्टर की अनुशासन वाली छवि से सरकार को मुक्ति दिलाई.

Haryana Election Results 2024: Full list of winnersHaryana Election Results 2024: Full list of winners
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 08, 2024,
  • Updated Oct 08, 2024, 6:53 PM IST

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 48 तो कांग्रेस ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल को 2 और अन्य के खाते में तीन सीटें गई हैं. उधर जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन को 49 और बीजेपी को 29 सीटें मिली हैं. यहां पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी कि पीडीपी को तीन, एआईपी को 1 और अन्य के खाते में 8 सीटें गई हैं. यह नतीजा कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि उसे पूरा भरोसा था कि इस बार हरियाणा में उसकी सरकार बनेगी. साथ ही यह आम आदमी पार्टी के लिए भी बड़ा झटका है क्योंकि हरियाणा में उसका खाता भी नहीं खुला.

यह चुनाव उन किसान संगठनों के लिए भी झटका माना जा रहा है जो आंदोलन को राजनीति का जरिया बनाते हुए सरकार पर दबाव बना रहे थे. इसमें एक बड़ा नाम किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी का है जो जिन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी. हरियाणा चुनाव में वे खुद भी संयुक्त संघर्ष पार्टी से कुरुक्षेत्र के पेहोवा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उनकी शर्मनाम हार हुई. उन्हें मात्र 1170 वोट मिले. 

चढ़ूनी की बुरी हार

पेहोवा विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मनदीप चट्ठा ने जीत दर्ज की है. उन्हें 64548 वोट मिले. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के जय भगवान शर्मा (डीडी) को 6553 वोटों से हराया. इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार बलदेव सिंह वरैच को 1772 वोट मिले. बीजेपी के जय भगवान शर्मा को 57995 वोट मिले. चढ़ूनी हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख भी हैं. वे 2020-21 के किसान आंदोलन के नेताओं में से एक थे.

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हरियाणा में बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए जीत दर्ज की है. इसके पीछे कुछ बड़ी वजहें हैं. जानकार बताते हैं कि इस चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का चेहरा आगे रखा गया जिसका अच्छा असर लोगों के बीच गया. सैनी ने अपनी मिलनसार छवि को आगे किया और खट्टर की अनुशासन वाली छवि से सरकार को मुक्ति दिलाई. सैनी के अपने व्यवहार और मिलने जुलने से तीन से चार प्रतिशत वोट अलग से जुड़े बताए जा रहे हैं. 

इसलिए जीती बीजेपी

बीजेपी की जीत में हरियाणा के चार प्रभारी हैं धर्मेंद्र प्रधान, बिप्लब कुमार देब, सुरेंद्र नागर और सतीश पूनिया को बड़ा फैक्टर माना जा रहा है. इन चारों ने लोक सभा की सीटों को आपस में बांटा और उन्हें संभाला. हर प्रभारी ने अपने प्रभार की लोक सभा सीट पर माइक्रोमैनेजमेंट किया. जातिगत समीकरणों को साधा गया और  उम्मीदवारों का चयन उसी हिसाब से किया गया और मुद्दे तय किए गए. 

दलितों को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी ने विशेष रूप से काम किया. कुमारी शैलजा की नाराजगी को बीजेपी ने अपने पक्ष में किया. सीएम पद से खट्टर को हटाने का फैसला सही साबित हुआ. खट्टर के चेहरे को प्रचार से दूर रखा गया, ताकि लोगों में उन्हें लेकर नाराजगी न हो. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल की ज्यादतियों और भ्रष्टाचार की लोगों को याद दिलाई गई. किसान, जवान के मुद्दे पर काम किया गया और किसानों को 24 फसलों पर MSP दी गई. साथ ही अग्निवीरों को पेंशन वाली नौकरी का वादा दिया गया. चुनाव में बिना खर्ची-पर्ची का नारा युवाओं को भाया.

जम्मू-कश्मीर बीजेपी प्रमुख रविंदर रैना, जिन्हें इस क्षेत्र में पार्टी के 'पोस्टर बॉय' के रूप में जाना जाता है, ने विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 29 सीटों के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिलाया है, जबकि वे अपनी नौशेरा विधानसभा सीट को बरकरार रखने में नाकाम रहे. रैना ने कहा, "मैंने लोगों के फैसले को स्वीकार कर लिया है. मैं उनके समर्थन के लिए उनका धन्यवाद करता हूं."

जम्मू-कश्मीर में NC की जीत

जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने नतीजों पर खुशी जाहिर की और कहा कि उमर अब्दुल्ला, जिन्होंने दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था, जीत हासिल की है और वे राज्य के मुख्यमंत्री होंगे. फारूक अब्दुल्ला ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा, "लोगों ने अपना जनादेश दिया है, उन्होंने साबित कर दिया है कि वे 5 अगस्त को लिए गए फैसले को स्वीकार नहीं करते... उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री होंगे." अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में 90 सीटों के लिए मतदान हुआ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "हम बेरोजगारी, महंगाई और अन्य मुद्दों से निपटना चाहते हैं. मैं वोट देने के लिए सभी का आभारी हूं."

पीडीपी प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और एनसी को उनके पक्ष में जनादेश के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा, "मैं कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व को उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए बधाई देती हूं. मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी स्थिर सरकार के लिए वोट देने के लिए बधाई देती हूं. अगर यह स्पष्ट जनादेश नहीं होता, तो कोई सोचता कि कुछ गड़बड़ हो सकती है." 

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उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि लोग स्थिर सरकार चाहते थे और उन्हें लगा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस मिलकर यह दे सकते हैं और बीजेपी को दूर रख सकते हैं." उनकी बेटी इल्तिजा महबूबा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहरा से चुनाव हार गईं. उन्होंने कहा, "मैं लोगों के फैसले को स्वीकार करती हूं. बिजबेहरा में सभी से मुझे जो प्यार और स्नेह मिला है, वह हमेशा मेरे साथ रहेगा. इस अभियान के दौरान इतनी मेहनत करने वाले पीडीपी कार्यकर्ताओं का आभार."

 

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