Goat Milk: सर्दी-बरसात में बकरी के दूध की कमी को पूरा करेगा ये मुनाफे वाला तरीका, पढ़ें डिटेल 

Goat Milk: सर्दी-बरसात में बकरी के दूध की कमी को पूरा करेगा ये मुनाफे वाला तरीका, पढ़ें डिटेल 

Goat Milk साल के 12 महीने बाजार में डिमांड के मुताबिक बकरी का दूध मिल जाए. इमरजेंसी के दौरान जरूरतमंद को भी दूध के ज्यादा दाम न चुकाने पड़ें, इसके लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने एक पहल शुरू की है. सीआईआरजी ने बकरी के दूध का पाउडर बनाने वाला प्लांट लगाया है. दूध से पाउडर कैसे बनाया जाए इसकी ट्रेनिंग भी सीआईआरजी दे रहा है.

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 23, 2025,
  • Updated Dec 23, 2025, 4:15 PM IST

Goat Milk गोट एक्सपर्ट की मानें तो बकरी के दूध की डिमांड का कोई तय वक्त नहीं है. आमतौर पर ये देखा गया है कि जब डेंगू, कोरोना जैसे बीमारियां फैलती हैं तो बाजार में बकरी के दूध की डिमांड बढ़ जाती है. लेकिन देश में बकरी के दूध का उत्पादन कम है तो जरूरत के मुताबिक बाजार की डिमांड पूरी करना मुश्किल हो जाता है. इसकी एक वजह ये भी है कि बकरी पालन अभी संगठित क्षेत्र में नहीं आता है. इसलिए बाजार में बकरी का दूध बेचने वाले भी कम हैं. यही वजह है कि सालभर में कभी भी बकरी के दूध की डिमांड मुंह मांगे दाम पर आ जाती है. 

जिसका खामियाजा जरूरतमंद को उठाना पड़ता है. एक्सपर्ट की मानें तो खासतौर से बरसात से लेकर सर्दियों तक में बकरी के दूध का उत्पादन कम हो जाता है. इसलिए ऑफ सीजन में भी दूध की कमी न हो इसलिए दूध का पाउडर बनाया जा रहा है. बकरी पालक केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में दूध ले जाकर पाउडर बनवा सकते हैं.

इसलिए मुंह मांगे दाम पर बिकता है बकरी का दूध 

सीआईआरजी के डॉयरेक्टर डॉ. मनीष कुमार चेतली का कहना है कि डेंगू होने पर मरीज की प्लेटलेट्स काउंट कम होने लगती हैं. ऐसे वक्त में डॉक्टर भी मरीज को बकरी का दूध पिलाने की सलाह देते हैं. क्योंकि बकरी का दूध पीने से प्लेटलेट्स काउंट तेजी से बढ़ने लगती हैं. जानकारों का कहना है कि बकरी का दूध शरीर में इम्यूनिटी भी बढ़ाता है. लेकिन असल परेशानी आती है बकरी का प्योर दूध मिलने की. कुछ लोग तो इसमे भी खेत करते हुए गाय का दूध मिला देते हैं.

बरसात से सर्दियों तक हो जाती है कमी

गोट एक्सपर्ट बताते हैं कि बरसात से लेकर सर्दियों के मौसम तक बकरी के दूध उत्पादन में कमी आ जाती है. दूध उत्पादन करीब-करीब 60 से 70 फीसद तक घट जाता है. ऐसे वक्त में सबसे ज्यादा बकरी के दूध की कमी महसूस होने लगती है. इसी को देखते हुए बीते चार साल पहले सीआईआरजी ने बकरी के दूध से पाउडर बनाने पर काम शुरू किया था. तीन साल की रिसर्च के बाद साल 2024 में सीआईआरजी ने पुणे से 20 कीमत की मशीन मंगवाईं थी. इस प्लांट को सीआईआरजी में लगाया गया है.

प्लांट ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया है. ट्रॉयल के तौर पर सीआईआरजी अब तक करीब छह किलो पाउडर बना चुका है. सीआईआरजी के एक्सपर्ट बताते हैं कि एक लीटर बकरी के दूध में 150 ग्राम पाउडर बनता है. दूध से पाउडर बनाने की तकनीक को बाजार में लाने के लिए सीआईआरजी ने महाराष्ट्र की सामाजिक संस्था शिंदे फाउंडेशन के साथ एमओयू साइन किया है.

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