What An Idea Sir Ji: बिचौलियों की उड़ी नींद, ऐसे उग रहा मक्का, किसान और मिलर दोनों हुए मालामाल

What An Idea Sir Ji: बिचौलियों की उड़ी नींद, ऐसे उग रहा मक्का, किसान और मिलर दोनों हुए मालामाल

Maize in Poultry Feed पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडा-चिकन का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. अंडे-चिकन की खपत को और बढ़ाने की चर्चाएं भी हो रही हैं. लेकिन पोल्ट्री फीड कैसे बढ़ेगा इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है. लौट फिरकर जीएम मक्का की चर्चा होने लगती है. लेकिन देर आए, दुरुस्त आए हरियाणा ने पोल्ट्री फीड के अहम हिस्से मक्का का हल निकालने पर काम शुरू हो चुका है. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 08, 2025,
  • Updated Dec 08, 2025, 4:07 PM IST

Maize in Poultry Feed दरवाजा कोई बंद नहीं होता. जरूरत होती है उसे खोलने के लिए कोशि‍श की जाए. ऐसी ही एक कोशि‍श करके कामयाबी हासिल की है पोल्ट्री फार्मर ने. और ये कमाल किया है हरियाणा के लोगों ने. आपको बता दें कि बिचौलियों के चलते पोल्ट्री सेक्टर मक्का की परेशानी से जूझ रहा है. बिचौलियों की वजह से ही किसानों की एमएसपी से भी सस्ती बिक रही मक्का पोल्ट्री फार्मर महंगी खरीदने को मजबूर हैं. लेकिन पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक आइडिया ने मक्का की बड़ी परेशानी को बौना बना दिया.

हरियाणा के 80 से 100 पोल्ट्री फार्मर और फीड मिलर ने मंडी के भरोसे न रहकर खुद की मक्का उगाना शुरू कर दिया. मक्का उत्पादन के रिजल्ट इतने अच्छे आए कि नेशनल ऐवरेज भी पीछे छूट गया. परेशानी चूंकि सिर्फ हरियाणा की ही नहीं थी तो कंपाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CLFMA) ने भी साऊथ इंडिया में इसके लिए प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो तमिलनाडू से इसकी शुरूआत हो जाएगी.  

मक्का के नेशनल ऐवरेज को भी छोड़ा पीछे

पीएफआई के प्रेसिडेंट रनपाल ढांढा ने किसान तक को बताया कि बाजार में मक्का के रेट को लेकर कुछ भी फिक्स नहीं है. मक्का मंडी में बहुत ज्यादा उथल-पुथल है. जिसका खामियाजा हमारे पोल्ट्री सेक्टर को भुगतना पड़ रहा है. कई छोटे फार्मर तो फीड के चलते बहुत ज्यादा परेशानी में आए गए हैं. इसी को देखते हुए हमने हरियाणा में 500 एकड़ जमीन पर मक्का बोई थी. पहली कोशि‍श की मक्का काटी जा चुकी है. हमने हाईब्रिड वैराइटी की मक्का बोई थी. प्रति एकड़ हमे मक्का का चार टन उत्पादन मिला है. अब हमने सर्दी वाली मक्का बो दी है. हमारा मानना है कि अगर इसी हाईब्रिड वैराइटी पर कुछ और काम हो जाए तो प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ सकता है. अगर इसी तरह से काम होता रहा तो प्रति हेक्टेयर 12 टन तक मक्का हो सकती है. गौरतलब रहे प्रति एकड़ में मक्का उत्पादन का नेशनल ऐवरेज 3.7 टन का है.  

CLFMA तमिलनाडू में कर रही जागरुक 

CLFMA के प्रेसिडेंट दिव्य कुमार गुलाटी ने किसान तक को बताया कि तमिलनाडू में अंडे का उत्पादन बहुत होता है. यहां पोल्ट्री सेक्टर में फीड के लिए मक्का की बहुत जरूरत होती है. यही वजह है कि हम लोग तमिलनाडू में कोशि‍श कर रहे हैं कि लीज पर जमीन लेकर मक्का का उत्पादन करेंगे. मक्का की हाईब्रिड वैराइटी लगाने पर विचार चल रहा है. हरियाणा में इसके अच्छे रिजल्ट देखने को मिले हैं. मक्का की नमी वाली परेशानी को दूर करने पर भी हम काम कर रहे हैं. इसके लिए हम एफपीओ मॉडल अपना सकते हैं. ब्राजील और अमेरिका में हमने मक्का सुखाने में ऐसे मॉडल का इस्तेमाल देखा है. 

और क्या बोले CLFMA प्रेसिडेंट

देश में कुल फीड उत्पादन छह करोड़ टन है. इसमे से चार करोड़ टन से ज्यादा की खपत तो पोल्ट्री में ही हो जाती है. मक्का और सोयामील पोल्ट्री फीड के मुख्य और सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले तत्व हैं. लेकिन आज मक्का का क्या हाल है ये हम सब अच्छी तरह से जानते हैं. और ऐसे में हम बात कर रहे हैं मिशन विकसित भारत-2047 की. इस मिशन में उत्पादन बढ़ेगा. उत्पादन बढ़ाने के लिए हमे कच्चा माल भी चाहिए होगा. जबकि कच्चे माल के रूप में अभी से हमारे पास फीड की कमी है. अभी मक्का के रूप में जो कच्चा माल हमारे पास है उसमे से 80 लाख से एक करोड़ टन मक्का इथेनाल में चली जाती है.

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