हरा चारा दुधारू पशुओं के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होता है. ऐसे भी विशेषज्ञों का कहना है कि हरी-हरी घासें गाय-भैंस के साथ-साथ बकरियों के लिए भी जरूरी हैं. क्योंकि इसमें कई सारी औषधीय दवाइयों के गुण पाए जाते हैं. इसे खाने के बाद मवेशियों की दूध देने क्षमता बढ़ जाती है. लेकिन बकरियों के लिए घास से भी ज्यादा फायदेमंद पेड़-पौधों के पत्ते हैं. पत्तों में ऐसे तत्व और औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिसे खाने से बकरियों की कई सारी बीमारियां अपने- आप ठीक हो जाती हैं. क्योंकि पेड़-पौधों के पत्ते बकरियों के लिए दवा के रूप में काम करते हैं.
पशु चिकित्सकों के मुताबिक, अगर बकरियां बीमार पड़ती हैं, तो खुद को ठीक करने के लिए पेड़-पौधों की पत्तियां खाती हैं. लेकिन अगर आप बकरी पालन करते हैं और आपके फार्म उतनी जगह नहीं हैं, जहां बकरियां खुले में घुमकर घास चर सकें. ऐसे में आपको समय-समय पर बकरियों को खाने के लिए पेड़ के पत्ते देना चाहिए. अगर आप मोरिंगा, नीम, जामुन, बेल और अमरूद के पत्ते देते हैं, तो बकरियों के लिए कुछ ज्यादा ही फायदेमंद रहेगा. ये पत्ते बकरियों को कई बीमारियों से दूर रखेंगे. हालांकि, बकरियां खुद से पत्ते तोड़कर खाना ज्यादा पसंद करती हैं.
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दरअसल, मोरिंगा, नीम, जामुन, बेल और अमरूद में भरपूर मात्रा में टेनिन कांटेंट और प्रोटीन पाए जाते हैं, जो बकरियों के लिए बहुत ही उपयोगी हैं. इनके पत्ते खाने से बकरियों के पेट में कीड़े नहीं होते हैं. इससे बकरियों का विकास तेजी से होता है. उनका वजन भी तेजी के साथ बढ़ता है. जानकारों का कहना है कि बकरियों के पेट में कीड़े होने पर कई तरह की बीमारियां अपने- आप जन्म लेती हैं. इससे उनके स्वास्थ्य पर ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
हालांकि, नीम, अमरुद, जामुन, मोरिंगा के पेड़ आपको आसानी से सभी जगह पर नहीं मिलेंगे. फिर भी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. सीआईआरजी ऐसे पत्तों की दवाई बाजार में बेच रहा है. इसे खिलाने के बाद उतना ही फायदा होगा. वहीं, अगर हम नीम गिलोय की पत्तियां बकरी के बच्चों को खिलाते हैं, तो उनके शरीर में बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है. इसे खाने से बकरी के बच्चे जल्द बीमार नहीं पड़ते हैं. वहीं, बकरियों की मृत्यु दर भी कम हो जाती है. ऐसे भी बकरी पालन में सबसे ज्यादा नुकसान बकरियों की मौत से ही होता है.
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