अगर दुधारू भैंस की बात करें तो आज अच्छी नस्ल की और ठीक-ठाक दूध देने वाली भैंस की कीमत 80 हजार रुपये से लेकर एक लाख तक है. अगर ऐसे में भैंस की देखभाल के दौरान जरा सी भी लापरवाही होती है और कोई भी 19-20 घटना घटती है तो भैंस के मरने पर सीधे एक लाख रुपये का नुकसान होता है. खासतौर पर सर्दी के मौसम में गाय-भैंस के बाड़े में बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. और खास बात ये कि दिसम्बर-जनवरी के महीने में ही पशु हीट में ज्यादा आता है. वहीं गर्मी में गाभिन कराए गए पशु इस दौरान बच्चा देने वाले होते हैं.
एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो अक्टूबर से जनवरी-फरवरी के बीच ही पशुओं की खरीद-फरोख्त भी खूब होती है. इसलिए हर लिहाज से इस मौसम में पशुओं की ज्यादा देखभाल बहुत जरूरी है. क्योंकि इस दौरान अगर पशु बीमार होते हैं तो उनका दूध कम हो जाता है. वहीं पशुपालक को इसका खामियाजा आर्थिक नुकसान के रूप में उठाना पड़ता है.
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दिन और रात के मौसम का अपडेट लेते रहें.
पशुओं को शीत लहर से बचाने के सभी इंतजाम कर लें.
खासतौर पर रात के वक्त बाड़े को तिरपाल आदि से अच्छी तरह ढककर रखें.
पशुओं के नीचे फर्श पर पुआल आदि बिछा दें.
बाड़े में रोशनी रखें और जगह को गर्म रखने का इंतजाम कर लें.
पशुओं को सूखी जगह पर ही बांधे.
पशुओं को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाने के साथ ही जरूरी टीके लगवा दें.
मक्खी-मच्छर से बचाने के लिए बाड़े में लैमनग्रास और नारगुण्डी को टांग दें.
मक्खी-मच्छर से बचाने के लिए नीम तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
पशुओं को मोटे कपड़े और बोरी आदि से ढककर रखें.
पशुओं को गर्म रखने के लिए खली और गुड़ खिलाएं.
पशुओं को दिन में तीन से चार बार हल्का गर्म पानी पिलाएं.
किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण देखते ही पशु को डॉक्टार को दिखाएं.
बीमार, कमजोर और गाभिन पशु का खास ख्याल रखें.
मृत पशु के शव का निस्तारण आबादी और तालाब आदि से दूर करें.
आग लगने में सहायक वस्तुओं को पशु के बाड़े से दूर रखें.
पशु के नए बाड़े का निर्माण मौसम के हिसाब से ही कराएं.
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सर्दियों के मौसम में पशुओं को खुला ना छोड़ें.
सर्दी के मौसम में पशु मेलों का आयोजन नहीं करना चाहिए.
ठंडा चारा और पानी पशुओं को नहीं देना चाहिए.
बीमार होने पर पशु को सिर्फ डॉक्टर को ही दिखाएं.
नमी और धुंए वाली जगह पर पशुओं को नहीं रखना चाहिए, इससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है.