साइंटीफिक दावे का तो पता नहीं, लेकिन घर में आपने और हमने बुर्जुर्गों को अक्सर कहते सुना होगा कि दूध पर मलाई जमे तो समझ जाओ कि दूध में मिलावट नहीं है. मतलब जितनी मोटी मलाई जमेगी दूध पर उतना ही विश्वास बढ़ता है. लेकिन बकरी के दूध की जांच करने का तरीका थोड़ा अलग है. अलग क्या कहें अजब-गजब है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली का कहना है वैसे तो संस्थान बकरी के दूध की जांच करने के लिए किट बना रहा है.
लेकिन दो तरीके ऐसे भी है जिनकी मदद से घर बैठे ही और दूध खरीदते वक्त जांच की जा सकती है. क्योंकि कई बीमारियों में काम आने वाले बकरी के दूध की डिमांड बढ़ने पर उसमे मिलावट की आशंका बढ़ जाती है. खासतौर पर जब डेंगू बीमारी फैलने पर लोग दूध खरीदने निकलते हैं.
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मनीष कुमार चेटली ने किसान तक को बताया कि बकरी के दूध में से एक अलग ही तरह की स्मैल आती है जो उसकी सबसे बड़ी पहचान है. दूध में से आने वाली इस खास तरह की स्मैल के चलते ही बहुत सारे लोग इसे पीना पसंद नहीं करते हैं. लेकिन बीमारी की हालत में पीने के लिए बाजार में फ्लेवर्ड मिल्क भी मौजूद है. जिसके चलते आप उस खास तरह की स्मैल से भी दूध की मिलावट को नहीं पकड़ सकते हैं. इतना ही नहीं बकरी के दूध को गर्म करने पर अगर उस पर मलाई जमती है तो इसका मतलब दूध में मिलावट की गई है.
डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली ने बताया कि देसी तरीके मलाई और दूध की खास स्मैल से तो मिलावट की पहचान होती ही है, लेकिन जल्द ही साइंटीफिक किट से भी बकरी के दूध की पहचान हो सकेगी. किट को बनाने का काम हमारा संस्थान कर रहा है. जल्द ही यह टेक्नोजलॉजी किसी प्राइवेट कंपनी को ट्रांसफर कर दी जाएगी. जिसके बाद किट बाजार में आ जाएगी.
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राजस्थान के बकरी पालक फहीम खान ने किसान तक को बताया कि खासतौर पर बकरी के दूध में मिलावट डेंगू के दौरान होती है. यह वो मौका होता है जब चारों ओर डेंगू फैला होता है और हर जगह बकरी के दूध की डिमांड होती है. ऐसे मौके पर बहुत सारे लोग बकरी के दूध में गाय का दूध मिलाकर बेचने लगते हैं. क्योंकि गाय और बकरी के दूध में कई चीजों को लेकर समानताएं हैं.
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