Dairy Milk: इस मिल्क प्लांट पर हर रोज खरीदा जाता है करोड़ों रुपये का दूध-गोबर, पढ़ें डिटेल

Dairy Milk: इस मिल्क प्लांट पर हर रोज खरीदा जाता है करोड़ों रुपये का दूध-गोबर, पढ़ें डिटेल

कम लागत में ज्यादा मुनाफा कैसे हो, पशुपालकों की इनकम कैसे बढ़े. पशुपालक प्रदूषण के कम करने में मददगार कैसे बनें. यहां तक की डेयरी के वेस्ट को बेचकर भी पैसे कैसे कमाए जाएं इसके लिए सरकार लागतार पशुपालकों की मदद कर रही है. नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) इसके लिए पशुपालकों को तकनीकी सहायता दे रहा है. 

गाय की देसी नस्ल. गाय की देसी नस्ल.
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 05, 2025,
  • Updated May 05, 2025, 5:28 PM IST

पशुपालकों की इनकम डबल करने के मामले में नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) की पहल कामयाब होती दिख रही है. एनडीडीबी की इस पहल से जहां पशुपालकों की इनकम बढ़ रही है तो वहीं ये पहल प्रदूषण को कंट्रोल करने में भी मददगार साबित हो रही है. डेयरी के वेस्ट को बेचकर पैसे कैसे कमाए जाएं, इसी सवाल का जवाब है एनडीडीबी की ये पहल. इसके लिए एनडीडीबी पशुपालकों को तकनीकी मदद भी दे रहा है. इसी के चलते पशुपालकों दूध के साथ गोबर भी बेच रहे हैं. यही वजह है कि अब पशुपालकों दूध के साथ-साथ गोबर बेचकर भी मुनाफा कमा रहे हैं. 

एनडीडीबी की मदद से यूपी के वाराणसी में इस प्लांट पर पशुपालक दूध के साथ ही हर महीने करोड़ों रुपये का गोबर भी बेच रहे हैं. इससे डेयरी प्लांट को भी खूब मुनाफा हो रहा है. वाराणसी दुग्ध संघ का ये प्लांट है. बीते तीन साल में इस प्लांट की क्षमता कई गुना बढ़ गई है. साथ ही पशुपालकों की इनकम भी बढ़ रही है.

पशुपालक हर महीने बेच रहे हैं 2 हजार टन गोबर 

एनडीडीबी की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक इस प्लांट में हर महीने दो हजार टन गोबर खरीदा जा रहा है. अभी हाल ही में पशुपालकों को गोबर का 2.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. इतना ही नहीं हर रोज 1.35 लाख लीटर दूध भी पशुपालक इस प्लांट पर बेच रहे हैं. जबकि एनडीडीबी के संचालन से पहले इस प्लांट पर सिर्फ चार हजार लीटर ही दूध खरीदा जा रहा था. लेकिन अब ये आंकड़ा डेढ़ लाख को छूने वाला है. प्लांट की प्रोसेसिंग क्षमता भी दो लाख लीटर रोजाना की हो चुकी है. जल्द ही प्लांट में मिल्क पाउडर, फरमेंटेड प्रोडक्ट और वाराणसी की पारंपरिक मिठाइयों का उत्पादन भी शुरू हो जाएगा. 

गोबर से प्लांट कमा रहा एक लीटर पर 50 पैसे 

एनडीडीबी की मानें तो प्लांट में किसानों से खरीदे गए गोबर से बायोगैस तैयार की जाती है. इस गैस का इस्तेमाल मिल्क प्रोसेसिंग में किया जाता है. ये गैस प्लांट की थर्मल और इलेक्ट्रि‍क दोनों ही जरूरतों को पूरा कर रहा है. इसके लिए हर महीने दो हजार टन गोबर पशुपालकों से खरीदा जाता है. इससे किसानों को तो फायदा हो रही रहा है, साथ में प्लांट को भी एक लीटर मिल्क प्रोसेसिंग पर 50 पैसे की बचत हो रही है. वहीं एनडीडीबी की इस पहल से मीथेन गैस का उत्सर्जन भी कम हो रहा है. वहीं गांव भी स्वच्छ हो रहे हैं.

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