Indian Shrimp: अमेरिकी टैरिफ को सेना और सेंट्रल पुलिस फोर्स देगी टक्कर, रक्षा मंत्रालय को लिखा पत्र 

Indian Shrimp: अमेरिकी टैरिफ को सेना और सेंट्रल पुलिस फोर्स देगी टक्कर, रक्षा मंत्रालय को लिखा पत्र 

Indian Shrimp for Forceअमेरिका की नई टैरिफ नीतियों का असर बड़े पैमाने पर इंडियन सीफूड एक्सपोर्ट पर भी पड़ा है. खासतौर से झींगा की डिमांड कम हो गई है. अमेरिका भारतीय झींगा का बड़ा खरीदार देश है. लेकिन बीते कई महीनों से झींगा तालाब में ही पड़ा हुआ है. भारतीय घरेलू बाजार में झींगा की डिमांड कम है. इसीलिए रक्षा और गृहमंत्रालय को एक पत्र लिखा गया है. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 11, 2025,
  • Updated Dec 11, 2025, 12:18 PM IST

Indian Shrimp for Force इंडियन सीफूड का एक बड़ा बाजार अमेरिका भी है. कुल एक्सपोर्ट का करीब 37 फीसद अमेरिका जाता है. लेकिन अमेरिका की नई टैरिफ नीति के चलते एक्सपोर्ट मंदा पड़ गया है. सीफूड में सबसे ज्यादा झींगा एक्सपोर्ट होता है. अमेरिकी नीति के चलते झींगा तालाब में ही पड़ा हुआ है. भारतीय घरेलू बाजार में झींगा की डिमांड कम है. जबकि झींगा पालक अपने एक्सपोर्ट बाजार के मुताबिक झींगा का उत्पादन कर चुके हैं. साथ ही अब ये भी चुनौती है कि झींगा उत्पादन को लगातार कैसे बनाए रखा जाए. इसी के चलते केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने रक्षा और गृहमंत्रालय को एक पत्र लिखा है. 

पत्र में झींगा की न्यूट्रीशन वैल्यू के बारे में बताया गया है. साथ ही ये मांग की गई है कि रक्षा और गृहमंत्रालय से जुड़े प्रतिष्ठानों जैसे सेना और सेंट्रल पुलिस फोर्स के लिए थोक में झींगा की खरीद की जाए. पशुपालन मंत्रालय ने उत्तराखंड का हवाला देते हुए बताया है कि उत्तराखंड सरकार भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की चौकियों पर ट्राउट फिश की सप्लाई कर रही है. इसके लिए दोनों के बीच एक समझौत पत्र भी साइन किया गया है. गौरतलब रहे झींगा किसान और एक्सपर्ट डॉ. मनोज शर्मा बीते कई साल से झींगा के घरेलू बाजार को बड़ा करने की मांग कर रहे हैं. हाल ही में उन्हें राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB) की कमेटी में भी शामिल किया गया है. 

NFDB ने संभाली सीफूड के प्रचार की कमान 

बीते तीन साल से राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB) घरेलू बाजार में मछली और दूसरे प्रोडक्ट की खपत बढ़ाने के लिए क्षेत्र स्तर पर उपभोक्ताओं की जरूरत, खपत पैटर्न और भारत में मत्स्य और मात्स्यिकी उत्पादों की भविष्य की मांग पर परियोजनाओं की सहायता जैसे काम कर रही है. अब तक, मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार ने 22 होलसेल फिश मार्केट, फिश रिटेल मार्केट्स की 202 यूनिट और फिश कियोस्क की 6410 यूनिट और फिश ट्रांसपोर्टेशन सुविधाओं की 27301 यूनिट जैसे रेफ्रिजरेटेड और इंसुलेटेड ट्रक, लाइव फिश वेंडिंग सेंटर, ऑटो रिक्शा, मोटरसाइकिल और आइस बॉक्स वाली साइकिलों को मंजूरी दी है.

साथ ही घरेलू खपत को बढ़ावा देने और जागरूकता पैदा करने के लिए NFDB के माध्यम से मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने घरेलू मछली की खपत पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, स्थानीय भाषाओं के जिंगल का इस्तेमाल करके रचनात्मक टैगलाइन और नारों से प्रचार अभियान शुरू किया है. NFDB ने ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ताओं को आकर्षित करने और मत्स्य की बिक्री को लोकप्रिय बनाने के लिए 48 मत्स्य खाद्य उत्सवों और मत्स्य मेलों का भी आयोजन किया गया. FDB ई-विपणन और ई-व्यापार के अवसरों को बढ़ाने के लिए e-NAM, ONDC और NERAMAC के माध्यम से सभी FFPOs और मत्स्य सहकारी समितियों को सुविधाएं दूी जा रही हैं. इसमें घरेलू मछली खपत को बढ़ावा देने के लिए राज्य के नेतृत्व वाली ब्रांडिंग पहलों को सहायता देना भी शामिल है.

ये हैं इंडियन सीफूड एक्सपोर्ट के आंकड़े 

संसद में मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने सीफूड एक्सपोर्ट से जुड़े कुछ आंकड़े रखे हैं. साल 2024-25 में भारत से 130 से ज्यादा देशों को 16.98 लाख टन सीफूड का एक्सपोर्ट किया गया है. इसकी कुल कीमत 62 हजार करोड़ से ज्यादा है. संयुक्त राज्य अमेरिका 36.42 फीसद, चीन को 17.13 फीसद, यूरोपीय संघ को 15.10 फीसद, दक्षिण पूर्व एशिया (एसईए) को 13.08 फीसद, जापान को 5.52, मध्य पूर्व को 3.73 और अन्य को नौ फीसद का एक्सपोर्ट किया गया है. एक्सपोर्ट में फ्रोजन श्रिम्प (झींगा) की मात्रा सबसे ज्यादी थी. इसके बाद फ्रोजन फिश, स्क्विड, सूखे आइटम, फ्रोजन कटल फिश, सुरीमी उत्पाद, लाइव और चिल्ड उत्पाद आदि हैं.

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