Poultry Water: पानी की वजह से गर्मियों में बीमार न हों मुर्गियां, ऐसी होनी चाहिए क्वालिटी

Poultry Water: पानी की वजह से गर्मियों में बीमार न हों मुर्गियां, ऐसी होनी चाहिए क्वालिटी

पोल्ट्री फार्म में पीने के पानी की अच्छी क्वालिटी के लिए जरूरी है कि उसकी माइक्रोबियल और कैमिकल जांच जरूर कराई जाए. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि पानी में आंखों से ना दिखाई देने वाले जीवाणु-कीटाणु आने का जो माध्यम है उसमे तालाब, नदियां, खुले कुएं, पब्लिक वॉटर सप्लाई सिस्टम, स्टोर कर ट्रांसपोर्ट करने के दौरान और ओवरहेड टैंक आदि होते हैं. 

पंजाब में पॉल्ट्री की संख्या हुई दोगुनीपंजाब में पॉल्ट्री की संख्या हुई दोगुनी
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 16, 2025,
  • Updated May 16, 2025, 11:11 AM IST

गर्मियों में पशु हों या पक्षी उनकी गहन देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है. न सिर्फ देखभाल बल्कि  खाने-पीने का भी पूरा ख्याल रखना पड़ता है. भीषण गर्मी वाले मई-जून में तो ये और भी जरूरी हो जाता है. और बात जब पोल्ट्री फार्म में पलने वाली मुर्गियों की हो तो ये तलवार की धार पर चलने जैसा हो जाता है. क्योंकि पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक मुर्गियों के मामले में तो अगर पीने के पानी में भी जरा सी लापरवाही हो जाए तो उनकी जान पर बन आती है. एक्सपर्ट के मुताबिक पोल्ट्री फार्म में मुर्गे-मुर्गियों के लिए साफ-स्वच्छ पानी बहुत जरूरी होता है. 

इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पोल्ट्री फार्म खोलने का पहला नियम ये है कि जिस जमीन पर फार्म खोला जा रहा है वहां के ग्राउंड वॉटर की जांच कराई जाए. अगर पीने के पानी की क्वालिटी सही नहीं है तो फिर फार्म पर मुर्गियां आए दिन बीमार होंगी. पानी का असर अंडे और चिकन उत्पादन पर भी पड़ेगा. अगर फार्म पर मुर्गियां खराब पानी पी रही हैं तो फिर उन्हें आप खाने में कितना भी अच्छा फीड दे दिजिए उसका कोई असर नहीं पड़ेगा. 

पोल्ट्री फार्म में ऐसा हो मुर्गियों के पीने का पानी

  • कुल कठोरता 60-180
  • पीएच 6.8-7.5
  • नाइट्रेट 10 मिलीग्राम-लीटर
  • नाइट्राइट 0.4 मिलीग्राम-लीटर
  • कुल जीवाणु गणना 00
  • कोलीफॉर्म गणना 00
  • कैल्शियम क्लोराइड 60 मिलीग्राम-लीटर
  • सोडियम 50 मिलीग्राम-लीटर
  • सल्फेट 125 मिलीग्राम-लीटर 
  • सस्ते और सरल तरीकों से अतिरिक्त घुले खनिजों को हटाना व्यावहारिक नहीं है. 
  • पानी में खनिजों की मात्रा ज्यादा होने पर दूसरे वॉटर सोर्स इस्तेमाल करने चाहिए. 
  • माइक्रोबियल से छुटकारा पाने के लिए क्लोरीनीकरण सबसे अच्छा और सस्ता तरीका है.
  • पीने के पानी में पीपीएम की मात्रा एक से दो होनी चाहिए. 
  • पीपीएम का लेवल बनाने के लिए 1000 लीटर पानी में पांच-आठ ग्राम ब्लीचिंग पाउडर मिलाएं. 
  • पानी में मिलाए जा रहे ब्लीचिंग पाउडर में क्लोरीन की मात्रा 35 फीसद होनी चाहिए. 
  • पानी को एक घंटे रोकने के बाद ही मुर्गियों को पिलाएं. 
  • जहां एक घंटे तक पानी स्टोर नहीं किया जा सकता है वहां पानी में क्लोरीन डाइऑक्साइड पांच फीसद, एक मिलीलीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट (सैनीटेक) 10 लीटर पानी में इस्तेमाल करना चाहिए. 
  • 1.6 फीसद आयोडीन युक्त आयोडोफोर का इस्तेमाल वॉटर सैनिटाइजर के रूप में करना चाहिए. 
  • क्वाटरनरी अमोनियम यौगिक युक्त प्रोडक्ट जैसे क्वाट, क्वाटोवेट, एन्सिवेट, सोक्रेना आदि का इस्तेमाल एकसपर्ट की सलाह पर वॉटर सैनिटाइजर के रूप में किया जा सकता है.

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