Bakra Qurbani कुर्बानी के त्यौहार बकरीद में अब सिर्फ दो दिन बाकी रह गए हैं. इस ईद पर खासतौर से बकरों की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी का ये सिलसिला तीन दिन तक चलता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक कुर्बान किए जाने वाले बकरे के तीन हिस्से किए जाते हैं, जिसमे से दो हिस्से बांट दिए जाते हैं. लेकिन जिस पशु की कुर्बानी दी जानी है उसके लिए कुछ शर्तें हैं. कुर्बानी के लिए उन शर्तों का पूरा किया जाना बेहद जरूरी है. अगर एक भी शर्त पूरी नहीं की तो फिर बकरे की कुर्बानी नहीं होगी.
जानकारों की मानें तो बकरा-दुम्बा हो या भैंस इनकी कुर्बानी से जुड़े छह नियम हैं. सभी छह नियम का एक साथ पूरा होना बहुत जरूरी है. यही वजह है कि जब लोग बाजार या हाट में बकरा खरीदने जाते हैं तो रेट तय करने से पहले ये देखते हैं कि बकरा कुर्बानी की शर्तों को पूरा कर रहा है या नहीं. गौरतलब रहे बकरीद पर हलाल पशुओं की कुर्बानी दी जाती है. हलाल वो जिसके बारे में कुरान और हदीस में बताया गया है.
बकरे बेचने वाले बकरे के साथ भी 420 का खेल करते हैं. कमजोर बकरा भी खरीदार को मोटा-ताजी और तंदरुस्त दिखे इसके लिए बकरे में कई तरह के खेल किए जाते हैं. जैसे बकरे को मोटा दिखाने के लिए उसे जरूरत से ज्यादा पानी पिला देते हैं. अब आप कहेंगे कि बकरा कैसे ज्यादा पानी पी लेता है. तो खेल ये कि बकरा पालक बकरे को एक ऐसी दवाई खिलाते हैं जिससे उसका गला खुश्क हो जाता है. ऐसे में जब बकरा पानी मांगता है तो उसके सामने खूब सारा पानी रख दिया जाता है. कुछ लोग तो बकरे के मुंह से पानी की बोतल लगा देते हैं. बकरा गटागट पानी पीए जाता है. ऐसे बकरों की पहचान ये है कि ज्यादा पानी पीने के बाद बकरा जुगाली नहीं कर पाता है. आप गौर करें तो बकरा अगर 15-20 मिनट तक जुगाली नहीं करता है तो समझ लें कि बकरे को जरूरत से ज्यादा पानी पिलाया गया है.
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