दुधारू पशुओं की एक बीमारी जिससे देश ही नहीं दुनियाभर के पशुपालक परेशान हैं. ये बीमारी जहां पशुओं के लिए जानलेवा है तो इसका उत्पादन पर भी असर पड़ता है. इतना ही नहीं इस बीमारी के खौफ से डेयरी प्रोडक्ट और मीट का एक्सपोर्ट भी नहीं बढ़ पा रहा है. ये ऐसी बीमारी है जिसके पशुओं में फैलते ही पशुपालक से लेकर सरकार तक को नुकसान उठाना पड़ता है. इस बीमारी के चलते हर साल 24 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है. ये जानकारी खुद केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री ने दी थी.
ऐसे में एनिमल प्रोडक्ट इस्तेमाल करने के चलते ग्राहकों की जान भी जोखिम में बनी रहती है. पशुओं की इस खतरनाक बीमारी का नाम खुरपका-मुंहपका (एफएमडी). इस बीमारी को पूरी तरह से कंट्रोल करने के लिए केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय एक बड़े प्लान पर काम कर रहा है. प्लान के तहत देशभर में एफएमडी फ्री जोन घोषित किए जाएंगे. पशुपालक खुद इसकी घोषणा करेंगे. इसके बाद वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) जांच के बाद इस पर अपनी मुहर लगाएगा.
एनिमल एक्सपर्ट जेके सिन्हा का कहना है कि एफएमडी जानलेवा बीमारी है. अगर ये बीमारी होने पर पशुओं की ठीक से देखभाल ना की जाए. बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरी कदम नहीं उठाय जाएं तो पशु की मौत तक हो जाती है. संक्रमण रोग होने के चलते पशु शेड के दूसरे पशुओं पर भी इसका खतरा बना रहता है. इसके साथ ही पशु को ये बीमारी होने पर उत्पादन भी घट जाता है. कम दूध उत्पादन होने पर लागत भी बढ़ जाती है. क्योंकि अभी हमारा देश एफएमडी फ्री घोषित नहीं हुआ है तो डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी उस मात्रा में नहीं हो पाता है जितना दूध का उत्पादन है.
मीट एक्सपोर्टर जीशान अली का कहना है कि दुनिया का ऐसा कौनसा देश है जहां भारत का बफैलो मीट पसंद नहीं किया जाता है. बहुत सारे ऐसे देश हैं खासतौर पर यूरोपियन वो बफैलो मीट खरीदना चाहते हैं, लेकिन पशुओं में एफएमडी और ब्रूसोलिसिस बीमारी के चलते नहीं खरीदते हैं. अगर देश एफएमडी फ्री घोषित हो जाता है तो फिर मीट एक्सपोर्ट भी दोगुनी रफ्तार से बढ़ने लगेगा.
ये भी पढ़ें-Dairy Plan and War: लड़ाई के दौरान देश में नहीं होगी दूध-मक्खन की कमी, ये है डेयरी का प्लान
ये भी पढ़ें-Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा