गर्भावस्था के दौरान गायों और भैंसों को संतुलित आहार दिया जाना चाहिए. आहार में हरा चारा, घास, सूखा अनाज और खनिज मिश्रण शामिल होना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान गायों और भैंसों को प्रतिदिन हरा चारा, सूखा चारा, दाना, नमक, कैल्शियम का घोल, अलसी का तेल देने की जरूरत होती है. लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि इसकी मात्रा कितनी होनी चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं गाय-भैंसों को कौन सा आहार कितनी मात्रा में देनी चाहिए.
पशुओं के लिए चारे की मात्रा उनकी उत्पादकता और प्रजनन स्थिति पर निर्भर करती है. पशु के कुल चारे का 2/3 भाग मोटा चारा और 1/3 भाग अनाज का मिश्रण होना चाहिए. मोटे चारे में फलीदार और बिना फलीदार चारे का मिश्रण दिया जा सकता है. आहार में फलीदार चारे की मात्रा बढ़ाकर अनाज की मात्रा को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
पशु के लिए आहार की मात्रा उसकी शारीरिक आवश्यकता और कार्य के अनुसार और उपलब्ध खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के आधार पर निर्धारित की जाती है, लेकिन पशुपालकों को कठिनाई से बचाने के लिए अंगूठे के नियम को अपनाना अधिक सुविधाजनक है. इसके अनुसार, वयस्क दूध देने वाले पशु के आहार को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में बांट सकते हैं. 1. जीवित रहने के लिए आहार 2. उत्पादन के लिए आहार और 3. गर्भावस्था के लिए आहार.
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पशु को गर्भावस्था के 5वें महीने से अतिरिक्त आहार दिया जाता है क्योंकि इस अवधि के बाद भ्रूण का विकास बहुत तेजी से होने लगता है. इसलिए भ्रूण की उचित वृद्धि एवं विकास तथा गाय/भैंस के अगले ब्याने में उचित दूध उत्पादन के लिए यह आहार देना बहुत जरूरी है. इसमें देशी गायों (जेबू मवेशी) को 1.25 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज तथा संकर गायों व भैंसों को 1.75 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज दिया जाना चाहिए. अधिक दूध देने वाले पशुओं की स्तन ग्रंथियों के पूर्ण विकास के लिए गर्भावस्था के 8वें महीने से या ब्याने से 6 सप्ताह पहले इच्छानुसार अनाज की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए. इसके लिए जेबू नस्ल के पशुओं को 3 किलोग्राम अनाज तथा संकर गायों व भैंसों को 4-5 किलोग्राम अनाज पशु की निर्वाह आवश्यकता के अतिरिक्त दिया जाना चाहिए. इससे पशु अगले ब्याने में अपनी क्षमता के अनुसार अधिकतम दूध उत्पादन कर सकेगा.