देश में पशुपालन अब बिजनेस का रूप ले लिया है. गांव से लेकर शहरों तक में लोग पशुपालन से अच्छी कमाई कर रहे हैं. दूध और इससे बने उत्पाद बेचकर कई किसान तो करोड़पति भी बन गए हैं. लेकिन पशुपालन से किसानों की कमाई तभी तक होगी, जब उनकी दुधारू गाय-भैंस हेल्दी रहेंगी. इसके लिए गाभिन गाय-भैंसों की अच्छी तरह से देखरेख करनी होगी. उनके आहार पर भी ध्यान रखना होगा. क्योंकि पौष्टिक आहार देने पर ही स्वस्थ्य बछड़े का जन्म होगा. साथ ही दूध भी ज्यादा देंगी.
एक्सपर्ट के मुताबिक, गाभिन गाय-भैंस में हारमोनल बदलाव होता है. इससे वे काफी संवेदनशील हो जाती हैं. ऐसे गाय का गर्भ काल 9 महीने 9 दिन का होता है, जबकि भैसों का गर्भावस्था 10 महीने 10 दिन का. खास बात यह है इसके गर्भ में 6 से 7 महीने धीमी गति बच्चो का विकास होता है. जबकि शेष के तीन महीने के दौरान गर्भ में पल रहे बछड़े बहुत तेजी के साथ विकास करते हैं. इसलिए इस दौरान गाभिन गाय-भैंस को बहुत ही संतुलित आहार की जरूरत होती है.
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किसानों को संतुलित आहार के रूप में गाभिन मवेशियों को हरा चारा, भूसा और सूखा अनाज खिलाना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान उन्हें रोज दो किलो तक अनाज जरूर दें. साथ ही खाना खाने के बाद उन्हें रोज पानी में मिलाकर कैल्शियम का घोल भी पिलाएं. कैल्शियम की मात्रा 100 मिली लीटर होनी चाहिए. जबकि, हरी-हरी घास के साथ पशुओं को प्रतिदिन गुड खिलाना चाहिए. इसके अलावा आप समय-समय पर सरसों का तेल भी पिला सकते हैं. इससे गाभिन गाय-भैंस हेल्दी रहती हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक, पशुओं को मौसम के हिसाब से मिनरल मिक्सचर भी देना चाहिए.
वहीं, गौशाला में साफ-सफाई अच्छी तरह से रखनी चाहिए. मवेशियों को हमेशा शांत और स्वच्छ वातावरण में ही बांधे. अगर गर्मी का मौसम है तो गौशाला में पंखा और कुलर लगा दें. इससे गायों को गर्मी से राहत मिलती है. वहीं, सर्दी के मौसम में आग की व्यवस्था कर दें. इससे गौशाला का वातावरण गर्म हो जाएगा. वहीं, गर्भकाल के अंतिम तीन महीनों के दौरान गर्भवती गाय-भैंसों का सही तरह से देखभाल करनी चाहिए. इस अवधि के दौरान गाभिन पशुओं का वजन 20 से 30 किलो तक बढ़ना चाहिए. अगर आप गाभिन पशुओं को पौष्टिक आहार देंगे, तो ब्याने के बाद उनका दूध का उत्पादन भी अच्छा रहेगा.
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