पशुओं की देसी नस्लों की पहचान से समृद्ध बनेगा कृषि और पशुपालन क्षेत्र

पशुओं की देसी नस्लों की पहचान से समृद्ध बनेगा कृषि और पशुपालन क्षेत्र

केंद्रीय कृष‍ि मंत्री नरेंद्र स‍िंह तोमर ने कहा क‍ि पशुओं की अनूठी नस्लों की करनी होगी पहचान. द‍िल्ली में कार्यक्रम आयोज‍ित कर 28 नई पंजीकृत नस्‍लों के नस्‍ल रज‍िस्ट्रेशन प्रमाण पत्रों का क‍िया गया वितरण. मंत्री ने कहा-ये देसी नस्लें अद्वितीय हैं, जो विविधता की विशालता को दर्शाती हैं.  

सरकार ने महाराष्ट्र की कथानी गाय का रज‍िस्ट्रेशन क‍िया है (Photo-ICAR).सरकार ने महाराष्ट्र की कथानी गाय का रज‍िस्ट्रेशन क‍िया है (Photo-ICAR).
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Feb 16, 2023,
  • Updated Feb 16, 2023, 7:31 PM IST

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में बड़ी संख्या में पशुओं की देसी नस्लें हैं जिन्हें सभी क्षेत्रों से पहचानने की आवश्यकता है. इनके माध्यम से कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र को और समृद्ध बनाया जा सकता है. तोमर ने यह बात बृहस्पत‍िवार को पशुधन नस्ल पंजीकरण प्रमाण-पत्र वितरण समारोह में कही. इसका आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र, नई दिल्ली में किया. तोमर ने कहा कि देश का लगभग आधा पशुधन अभी भी अवर्णित है. हमें ऐसी अनूठी नस्लों की जल्द से जल्द पहचान करना होगी ताकि इन अवर्णीकृत नस्लों को बचाया जा सकें.

तोमर ने खुशी जताई कि आईसीएआर इस दिशा में काम कर रहा है और देश में ऐसी नस्लों की पहचान के लिए एक विशेष मिशन शुरू किया गया है. इस तरह का कार्य आसान नहीं है और राज्य विश्वविद्यालयों, पशुपालन विभाग और गैर सरकारी संगठनों आदि के सहयोग के बिना इसे पूरा नहीं किया जा सकता है. आईसीएआर ने इन सभी एजेंसियों के सहयोग से मिशन मोड में देश के सभी पशु आनुवंशिक संसाधनों के डॉक्यूमेंटेशन की शुरुआत की है. यह बड़ा समूह देश में देशी पशु आनुवंशिक संसाधनों के दस्तावेजीकरण के मिशन को पूरा करेगा.

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कृषि का अभिन्न अंग है पशुपालन 

तोमर ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए, नई नस्लों के सभी आवेदकों को बधाई देते हुए कहा कि ये देसी नस्लें अद्वितीय हैं, जो विविधता की विशालता भी दर्शाती है, ये सभी क्षेत्रों में मौजूद है. इतिहास में मानव समाज के विकास के समय से ही पशुपालन कृषि का अभिन्न अंग रहा है. यह हमारे जैसे देश में और भी अधिक प्रासंगिक है, जहां समाज का एक बड़ा हिस्सा सक्रिय रूप से इससे जुड़ा हुआ है और पशुपालन पर निर्भर है. हमारा देश पशु जैव विविधता से समृद्ध है और लोग सदियों से अलग-अलग प्रकार की प्रजातियों का पालन कर रहे हैं. 

एफएओ ने की सराहना 

इन प्रजातियों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों जैसे भोजन, फाइबर, परिवहन, खाद और कृषि उद्देश्यों आदि के लिए किया जाता रहा है. अतीत में हमारे किसानों ने इन प्रजातियों की कई विशिष्ट नस्लें विकसित की हैं, जो उस जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं.  सारी दुनिया इस समय भारत की पशुधन व कुक्कुट (पोल्ट्री) क्षेत्र में बड़ी विविधता की ओर देख रही है. देश में पशु आनुवंशिक संसाधनों के दस्तावेजीकरण व उनकी आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने के प्रयासों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य व कृषि संगठन (FAO) द्वारा भी सराहना की गई है.

28 नस्लों का रज‍िस्ट्रेशन 

इस अवसर पर 28 नई पंजीकृत नस्‍लों के नस्‍ल रज‍िस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र वितरित किए गए, जिनमें मवेशियों की 10 नस्‍लें, शूकर की 5, भैंस की 4, श्वान व बकरी की 3-3, गधा, बत्तख व भेड़ के लिए 1-1 तथा पोल्‍ट्री वंशक्रम के लिए 1 नस्ल शामिल है. इन देशी नस्‍लों पर संप्रभुता का दावा करने के लिए डेयर ने वर्ष 2019 में राजपत्र में सभी पंजीकृत नस्‍लों को अधिसूचित करना शुरू किया है. कार्यक्रम में आईसीएआर व इसके संस्थानों के अधिकारी, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा डीएएचडी के अधिकारी उपस्थित थे. 

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