Methane Gas: गाय-भैंस को ये चारा खि‍लाया तो पर्यावरण बचेगा और मुनाफा भी होगा, जानें कैसे 

Methane Gas: गाय-भैंस को ये चारा खि‍लाया तो पर्यावरण बचेगा और मुनाफा भी होगा, जानें कैसे 

जुगाली करने वाले पशुओं के चलते मीथेन गैस का उत्सर्जन पशुपालन में एक बड़ी परेशानी बन चुकी है. हालांकि इसे लेकर बहुत ही गंभीरता के साथ काम चल रहा है, लेकिन जरूरत है कि पशुओं के चारे में कुछ बदलाव किए जाएं. एक्सपर्ट के मुताबिक चारे में बदलाव करके ही गाय-भैंस से होने वाले मीथेन गैस के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है. 

ज्वार का चाराज्वार का चारा
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Feb 11, 2025,
  • Updated Feb 11, 2025, 11:33 AM IST

ग्लोबल वार्मिंग देश-दुनिया की बड़ी परेशानी बन चुकी है. एक्सपर्ट की मानें तो ग्लोबल वार्मिंग के लिए कई चीजें जिम्मेदार हैं. उन्हीं में से एक मीथेन गैस भी है. यही वजह है कि देश के तीन बड़े सेक्टर एनर्जी प्रोडयूसर, ट्रैफिक और खेती-पशुपालन में मीथेन गैस से जुड़ी चर्चाएं सबसे ज्यादा होती हैं. क्योंकि पर्यावरण में मीथेन गैस बढ़ाने में इनका पहला, दूसरा और खेती-पशुपालन का तीसरा नंबर है. बात अगर पशुपालन की करें तो मीथेन गैस के लिए जुगाली करने वाले छोटे-बड़े सभी तरह के पशु जिम्मेदार हैं.

यही वजह है कि जुगाली करने वाले पशुओं के लिए इस तरह का चारा तैयार करने पर रिसर्च चल रही है जिससे मीथेन गैस का उत्सर्जन कम से कम हो. इसके लिए खासतौर पर गाय-भैंस और भेड़-बकरी के चारे में बदलाव करने की कोशि‍शें चल रही हैं. खास बात ये है कि इस बदले हुए चारे को खि‍लाने से जहां पर्यावरण में सुधार होगा, वहीं पशुपालकों को डबल मुनाफा भी होगा. 

ये भी पढ़ें- Goat Farming: बकरी पालन से पहले क्यों जरूरी है ट्रेनिंग लेना, पढ़ें एक्सपर्ट क्या बोले इस बारे में

समुद्र में मिलने वाला ये लाल पौधा कम करेगा मीथेन गैस

एक्सपर्ट का कहना है कि गाय-भैंस सबसे ज्यादा मुंह के रास्ते मीथेन गैस का उत्सर्जन करती हैं. जुगाली करने वाले पशु जिस तरह का चारा खाते हैं तो उसे चबाने की पहली स्टेज के चलते ही मीथेन गैस ज्यादा बनती है. लेकिन समुद्र में पाए जाने वाले पौधे जिसे रेड अल्गी कहा जाता है को खि‍लाकर इसे कम किया जा सकता है. रेड अल्गी को पशु के दूसरे सामान्य चारे में मिलाकर खि‍लाया जाता है. पशु के चारे में रेड अल्गी को कितना मिलाना है इसका ख्याल रखना पड़ता है. क्योंकि अगर फीड में रेड अल्गी ज्यादा हो गई तो फिर गाय-भैंस के दूध का उत्पादन कम हो जाएगा. जबकि हमे फीड भी ऐसा तैयार करना है जो दूध उत्पादन बढ़ाने वाला भी हो. 

रेड अल्गी खि‍लाने पर ऐसे होगा डबल मुनाफा 

एक्सपर्ट के मुताबिक देश में हर साल करीब 21.4 मिलियन टन मीथेन गैस का उत्पादन होता है. अब अगर इस खास चारे को खिलाने पर होने वाले डबल मुनाफे की बात करें तो जब पशुपालक रेड अल्गी वाला फीड खरीदते हैं तो फीड के कट्टे में अंकों वाला एक कोड निकलता है. इस कोड को कंपनी के ऐप पर जाकर सबमिट करना होता है. इस अंकों वाले कोड से पता चल जाता है कि पशुपालक ने अपने पशुओं को कितना रेड अल्गी वाला फीड खि‍लाया जिससे मीथेन गैस का उत्सर्जन कम करने में मदद मिली. इसकी मदद से वाल्यूम में ये भी पता चल जाएगा कि पशुपालक ने कितनी गैस का उत्सर्जन होने से रोक लिया. उसी आधार पर पशुपालक को क्रेडिट नंबर मिल जाएंगे. इसके बाद पशुपालक इन नंबरों को बेचकर नकद मुनाफा कमा सकता है.  

ये भी पढ़ें- Goat Farming: 100 से लेकर 500 भेड़-बकरी पालने तक पर कितनी मदद दे रही सरकार, पढ़ें‍ डिटेल

 

MORE NEWS

Read more!