पंजाब में गेहूं की खेती के लिए खास सलाहपंजाब में भयानक बाढ़ और लगातार बारिश की वजह से इस साल गेहूं की बुआई में देरी हुई है. गेहूं की फसल बोने का सही समय 15 नवंबर तक था, लेकिन गेहूं की खेती का रकबा पिछले साल के मुकाबले 4.85 लाख हेक्टेयर कम रहा. एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की जानकारी से पता चलता है कि अब तक गेहूं की बुवाई सिर्फ़ 30.14 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन में यह रकबा 35 लाख हेक्टेयर था.
गेहूं की बुवाई में देरी की कई वजहें हैं, जैसे नदियों के उफान से खेतों में गाद जमा होना, 5,300 एकड़ से ज्यादा जमीन का बह जाना और साउथ मालवा में कपास की कटाई में देरी.
यह चिंता की एक बड़ी वजह है, सिर्फ इसलिए नहीं कि इससे किसानों की रोजी-रोटी और इकॉनमी पर असर पड़ता है, बल्कि इसलिए भी कि इससे सेंट्रल फ़ूड पूल (केंद्र सरकार के बफर स्टॉक) में राज्य के कुल योगदान पर असर पड़ता है.
चिंता में आकर, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट ने किसानों को गेहूं की कई देर से बोई जाने वाली किस्मों की सलाह दी है, ताकि राज्य के कुल गेहूं प्रोडक्शन पर असर न पड़े.
डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, “PBW RS1 और PBW उन्नत 550 नवंबर के आखिर तक बोई जा सकती हैं, जबकि PBW 771 और PBW 752 दिसंबर के आखिर तक बोई जा सकती हैं. हमने एक और वैरायटी — PBW 757 — की भी सलाह देना शुरू कर दिया है, जिसे 15 जनवरी तक बोया जा सकता है. जो किसान अभी फसल नहीं बो पाए हैं, वे इन वैरायटी को लगा सकते हैं. हमें भरोसा है कि अगर किसान इन देर से बोई जाने वाली वैरायटी को बोना शुरू कर दें, तो गेहूं की पैदावार पर असर नहीं पड़ेगा.”
हालांकि राज्य सरकार ने बाढ़ से प्रभावित किसानों को मुफ्त बीज देने की घोषणा की थी, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि बीज बोने का समय खत्म होने के बाद आए. आरोपों को खारिज करते हुए, एग्रीकल्चर डायरेक्टर जसवंत सिंह ने कहा कि सभी योग्य किसानों को समय पर मुफ्त बीज मिल गए.
उन्होंने कहा, “योग्य किसानों को रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने वेरिफाई किया, जिसने स्पेशल गिरदावरी की. हमने 23 अक्टूबर से मुफ्त बीज बांटना शुरू किया और 1.50 लाख क्विंटल बीज बांटे जा चुके हैं.”
दूसरी ओर, 'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट बताती है कि पंजाब भर के सीनियर अधिकारी बरसीम (हरा चारा), मसूर, चना और गेहूं के बीजों की सप्लाई में लगातार हो रही देरी पर चिंता जता रहे हैं. ये बीज बाढ़ प्रभावित गांवों को मुफ्त और दूसरों को सब्सिडी पर मिलने हैं. ये चिंताएं तब आ रही हैं जब पंजाब एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर डिपार्टमेंट ने हाल ही में नेशनल फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन मिशन (NFSNM) के तहत खरीदे गए इन बीजों को भेजना शुरू किया है.
इन फसलों की बुवाई का समय खत्म होने के बाद बीज आ रहे हैं. किसानों को अब बीजों की जरूरत नहीं है, इसलिए जिले के अधिकारियों को उन्हें बेचने के तरीके ढूंढने पड़ रहे हैं.
पंजाब ने केंद्र सरकार से NFSNM के तहत ज्यादा पैदावार वाले बीजों की किस्मों की मांग की थी, इस उम्मीद के साथ कि ये किसानों को सब्सिडी वाली दरों पर दिए जाएंगे.
गेहूं की बुवाई का सही समय 1 से 15 नवंबर के बीच होता है. ज्यादातर जिलों में गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है. बरसीम (हरा चारा) की बुवाई आमतौर पर 15 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच होनी चाहिए, और किसान अपनी पहली कटाई कर रहे हैं. मसूर और चने की बुवाई आम तौर पर नवंबर के दूसरे हफ्ते तक खत्म हो जाती है.
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