सर्दियों का मौसम शुरू होते ही इंसान तो गर्म कपड़ों और रजाई का सहारा ले लेते हैं, लेकिन हमारे डेयरी पशुओं गाय और भैंसो के लिए यह समय काफी चुनौतीपूर्ण होता है. अक्टूबर-नवंबर से शुरू होने वाली हल्की ठंड जनवरी-फरवरी आते-आते जानलेवा पाले और कड़ाके की सर्दी में बदल जाती है. पिछले एक हफ्ते से जारी कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच यदि डेयरी पशुओं की देखभाल में लापरवाही बरती गई, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. सबसे बड़ा नुकसान- पशुओं की मृत्यु का खतरा है, जो अत्यधिक ठंड लगने के कारण हो सकती है.
ठंड के तनाव से पशुओं की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे जल्दी बीमार पड़ने लगते हैं. डेयरी मालिकों के लिए आर्थिक रूप से सबसे बड़ी चोट दूध उत्पादन में भारी गिरावट के रूप में आती है. गाजियाबाद के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ एस. पी. पांडेय और उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ड़ॉ हरिबंश सिंह द्वारा जारी निर्देशों के आधार पर यहां कुछ आसान और असरदार तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने डेयरी पशुओं को सुरक्षित रख सकते हैं.
ठिठुरती ठंड में पशुओं की देखभाल
- सर्दियों में सबसे जरूरी है कि पशुओं को सीधी बर्फीली हवाओं से बचाया जाए. पशुओं के रहने वाले शेड या छप्पर को चारों तरफ से टाट, जूट की बोरी, तिरपाल या पराली की बनी टट्टी पर्दोंसे ढक देना चाहिए .
- खिड़कियों और रोशनदानों को भी रात के समय ढक कर रखें ताकि ठंडी हवा अंदर न आए. दिन के समय जब अच्छी धूप खिली हो, तब पशुओं को बाहर धूप में जरूर बांधें, लेकिन ध्यान रखें कि वहां भी सीधी तेज हवा न चल रही हो.
- शेड के अंदर साफ-सफाई और कीटाणुनाशक का छिड़काव समय-समय पर करते रहें पशु जिस जगह बैठते हैं, वह फर्श गीला या ठंडा नहीं होना चाहिए.
- ठंड से बचाने के लिए जमीन पर पुआल, सूखी घास, लकड़ी का बुरादा या गन्ने की खोई जैसी कोई भी सस्ती और नरम चीज बिछाएं जो नमी को सोख सके. इससे पशु को नीचे से ठंड नहीं लगेगी और दूध देने वाले पशुओं के थन भी सुरक्षित रहेंगे.
- अत्यधिक ठंड होने पर आप शेड के अंदर सुरक्षित तरीके से अलाव (धूनी) भी जला सकते हैं, लेकिन धुआं बाहर निकलने का रास्ता जरूर रखें. आग जलाते समय यह सावधानी बरतें कि पशु उससे दूर रहें और आग लगने का कोई खतरा न हो.
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कड़ाके की ठंड में पशुओं का सुरक्षा कवच
- जैसे हम स्वेटर पहनते हैं, वैसे ही सर्दियों में पशुओं को जूट के बोरे से बनी 'झूल जरूर पहनानी चाहिए. झूल को पशु के पेट के नीचे से रस्सी से अच्छी तरह बांध दें, ताकि वह खिसके नहीं. यह छोटे बछड़ों और ज्यादा दूध देने वाली गायों के लिए बहुत जरूरी है.
- अगर किसी डेयरी में पशुओं को कीड़े मारने वाली दवा (Deworming) नहीं दी गई है तो ठंड बढ़ने से पहले यह काम जरूर पूरा कर लें. छोटे नवजात बछड़ों को जन्म के तुरंत बाद 'खीस' (पहला गाढ़ा दूध) अवश्य पिलाएं, क्योंकि इससे उनकी बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ती है.
- ठंड के दिनों में पशुओं के शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए उन्हें ऊर्जा की ज्यादा जरूरत होती है. उनके चारे में खली, दाना और चोकर की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए. सर्दियों में रात के समय सूखा चारा खिलाना पशुओं के लिए बहुत लाभदायक होता है, क्योंकि यह उनके शरीर का तापमान संतुलित रखने में मदद करता है.
- अगर आप बरसीम या कोई हरा चारा दे रहे हैं तो उसे सीधे न खिलाएं. हरे चारे को सूखे भूसे के साथ मिलाकर ही खिलाना चाहिए, ताकि पशुओं को 'अफारा' (पेट फूलना) जैसी समस्या न हो.
पशु रहेंगे सुरक्षित तो बढ़ेगा मुनाफा
अक्सर लोग ठंड में पशुओं को ठंडा पानी पिला देते हैं, जिससे उन्हें सर्दी लग सकती है. पशुओं को हमेशा ताजा पानी ही पिलाएं जो न ज्यादा ठंडा हो और न ही बहुत गर्म . पशुओं की सेहत पर लगातार नजर रखें. अगर कोई पशु सुस्त नजर आए, उसे कपकपी हो रही हो या वह चारा कम खा रहा हो तो तुरंत अपने नजदीकी पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें.
रात के समय देखभाल के लिए किसी व्यक्ति की मौजूदगी सुनिश्चित करना भी एक अच्छा कदम है, ताकि आपात स्थिति में पशु की जान बचाई जा सके. इन छोटी-छोटी सावधानियों को अपनाकर आप कड़ाके की ठंड में भी अपने डेयरी पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं और अपने डेयरी व्यवसाय को नुकसान से बचा सकते हैं.