बदलता मौसम, तालाब का दूषित पानी और फीड देने में बरती जाने वाली लापरवाही मछली पालन में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. अगर आप मछली पालक हैं और आप इन तीन बातों पर ध्यान नहीं देते हैं तो फिर नुकसान होना तय है. खासतौर से अगर सितम्बर की बात करें तो इस महीने में मौसम बड़ी तेजी से बदलता है. अभी गर्मी और बारिश का एहसास हो रहा है तो इसी महीने में सर्दियां भी दस्तक दे देंगी. इस तरह के बदलाव के दौरान पानी को साफ-स्वच्छ रखने के साथ ही आक्सीजन की मात्रा भी बनाए रखना जरूरी होता है.
इतना ही नहीं मछलियों का फीड भी घटते-बढ़ते तापमान के मुताबिक ही तय किया जाता है. कितने दिन में मछली का वजन कितना होगा ये फीड के मुताबिक ही तय होगा. इसलिए जरूरी है कि मत्स्य पालन विभाग की ओर से मछली पालन को लेकर हुई एडवाइजरी का पालन करते हुए ही सितम्बर में मछली पालन किया जाए.
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बदलते मौसम में इन बातों का रखें ध्यान
- मछली बीज का उत्पादन करने वाले सितम्बर में काम ना करें.
- पंगेशियस मछली का पालन करने वाले उसके फीड का खास ख्याल रखें.
- पंगेशियस मछली को पहले से छठे महीने तक उसके कुल वजन का 1.5 फीसद से लेकर 2, 3, 4, 5 और 6 फीसद तक फीड देना चाहिए.
- पंगेशियस मछली को को पहले दो महीने 32 फीसद प्रोटीन, उसके अगले दो महीने 28 फीसद, पांचवे महीने में 25 और छठे महीने में 20 फीसद प्रोटीन युक्त फीड देना चाहिए.
- तापमान अगर 20 डिग्री से कम और 36 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है तो फीड आधा कर देना चाहिए.
- तालाब का पानी ज्यादा हरा हो जाए तो तालाब में रासायनिक उर्वरक और चूने का इस्तेमाल रोक दें.
- तालाब के पानी का हरा पन अगर कंट्रोल ना हो तो दोपहर के वक्त 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 250 ग्राम एट्राजीन आधा एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल कर तालाब में छिड़क दें.
- तालाब में ऑक्सीजन की कम होने पर ऑक्सीजन बढ़ाने वाले टेवलेट का छिड़काव 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें.
- तालाब में ऑक्सीजन काल लेवल बढ़ाने के लिए सुबह-शाम दो-दो घंटे एरेटर भी चलाया जा सकता है.
- नर्सरी तालाब में रासायनिक खाद का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करना चाहिए.
- मछली का वजन बढ़ाने के लिए प्रति किलोग्राम फीड में 10 ग्राम मिनरल मिक्सचर, 2-5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स को वनस्पति तेल या बाजार में उपलब्ध कोई भी बाईंडर 30 एमएल मिलाकर रोजाना दे सकते हैं.
- तालाब में मछली को संक्रमण से बचाने के लिए हर 15 दिन पर पीएच मान के अनुसार 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चूना घोल कर छिड़काव करें.
- पानी का संक्रमण दूर करने के लिए महीने में एक बार प्रति एकड़ की दर से 400 ग्राम पोटाशियम परमेग्नेट को पानी में घोल कर छिड़काव करें.
- मछली को पारासाईटिक संक्रमण से बचाने हेतु फसल चक्र में दूसरे महीने में दो बार 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक को पानी में घोल कर छिड़क दें. महीने में एक सप्ताह प्रति किलोग्राम फीड में 10 ग्राम नमक मिलाकर मछलियों को खिलाएं.
- पंगेशियस मछली के तालाब में दूसरे महीने में 20 किग्रा प्रति एकड़ की दर से नमक का छिड़काव करें.
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