Goat Meat: अगर आप बकरों को खि‍ला रहे हैं ये खास चारा तो बढ़ जाएगा मुनाफा, जाने वजह

Goat Meat: अगर आप बकरों को खि‍ला रहे हैं ये खास चारा तो बढ़ जाएगा मुनाफा, जाने वजह

हमारे देश में बीते साल ही करीब 100 लाख टन मीट का उत्पादन हुआ था. एक्सपर्ट का मानना है कि ये नंबर और भी बढ़ सकता है. बकरा हो या भैंस मीट एक्सपोर्ट का आंकड़ा डबल हो सकता है. लेकिन जरूरत इस बात की है कि हमे पशुओं का खानपान बदलने के साथ ही उन्हें उनका बीमारी मुक्त पालन करना होगा. 

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नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Aug 25, 2024,
  • Updated Aug 25, 2024, 4:40 PM IST

गोट एक्सपर्ट की मानें तो आज भी देश में बकरी पालन दूध से ज्यादा मीट के लिए किया जाता है. बीते साल ही मीट के लिए एक करोड़ बकरे ज्यादा काटे गए थे. तुरंत मुनाफे के चलते देश में बकरा पालन तेजी से बढ़ रहा है. एक्सपर्ट भी इसे फायदे की नजर से देखते हैं. लेकिन, अगर आप बकरा पालन के दौरान बाजार की डिमांड के हिसाब से उसे हरा चारा खि‍ला रहे हैं तो ये आपके मुनाफे को और बढ़ा सकता है. क्योंकि बकरे का मीट एक्सपोर्ट करने के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 

यही वजह है कि मीट एक्सपोर्टर ऐसे बकरों के ऊंचे दाम दे रहे हैं जिन्हें खास तरह से उगाया गया चारा खि‍लाया जा रहा है. क्योंकि सामान्य चारा खिलाने से मीट में पेस्टीसाइड के तत्व आ रहे हैं और कई ऐसे देश हैं जो इस तरह के मीट की खरीदारी नहीं करते हैं. जबकि बकरा ही नहीं भैंस के मीट को भी दुनियाभर के बहुत सारे देशों में पसंद किया जाता है. 

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ऑर्गेनिक चारा खि‍लाने से बढ़ेगा मुनाफा 

चारा एक्सपर्ट और साइंटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ बताते हैं कि मीट एक्सपोर्ट के दौरान बकरे के मीट की केमिकल जांच होती है. हैदराबाद का राष्ट्रीय मीट अनुसंधान संस्थान यह जांच करता है. कई बार ऐसा हुआ कि जांच के बाद मीट कंसाइनमेंट लौटकर आ गए हैं. यह इसलिए होता है कि बकरों को जो चारा खिलाया जाता है उसमे कहीं न कहीं पेस्टीसाइड का इस्तेमाल हुआ होता है. लेकिन अब देश में ऑर्गेनिक चारा भी उगाया जा रहा है. आप बकरों को सामान्य चारा ना खि‍लाकर खास ऑर्गेनिक चारा भी खि‍ला सकते हैं.

इस पर रिसर्च भी हो चुकी है. आपको बता दें कि ऑर्गेनिक चारे को बकरों ने खाया, लेकिन जब उनके मीट की जांच हुई तो मीट में वो केमिकल नहीं मिले जिनकी शिकायत पहले आती थी. अब अगर पशुपालक बकरा पालन कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें अपने बकरे और बकरियों को ऑर्गनिक चारा खिलाना चाहिए. जिससे मीट ही नहीं बकरी के दूध की भी डिमांड बढ़े और उसके अच्छें दाम मिलें. 

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मीट के लिए पाले जा रहे हैं इस नस्ल के बकरे  

किसान तक से बातचीत में गोट फार्मिंग करने वाले मोहम्मद  राशि‍द ने बताया कि वैसे तो अपने इलाके के हिसाब से मौजूद बकरे और बकरियों की नस्ल पालनी चाहिए. क्योंकि वही नस्ल अच्छी तरह से ग्रोथ करेगी. लेकिन खासतौर पर मीट के लिए पसंद किए और पाले जाने बकरों की जो नस्ल हैं उसमे बरबरी, जमनापरी, जखराना, ब्लैक बंगाल, सुजोत प्रमुख रूप से हैं. इन्हें पालने से दोहरी इनकम होती है. क्योंकि बरबरी, जमनापरी और जखराना नस्ल की बकरियां दूध भी खूब देती हैं.

 

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