भैंस वक्त से गाभिन हो जाए और भरपूर दूध दे दे. शायद ही कोई ऐसा छोटा-बड़ा पशुपालक होगा जो अपनी भैंस को लेकर ये दो बात ना सोचता हो. लेकिन सवाल ये है कि ऐसा होगा कैसे. एक्सपर्ट की मानें तो इसके लिए जरूरी है कि भैंस के खानपान, हैल्थ, व्यवहार की निगरानी के साथ ही भैंस की हीट का वक्त रहते पता चल जाए. खानपान में भैंस को कब हरे, सूखे चारे और मिनरल्स की जरूरत है इस पर पैनी नजर रखनी होगी. लेकिन इतने सारे पशुओं के बीच एक-एक भैंस पर एक-एक चीज के लिए नजर रख पाना मुमकिन नहीं हो पाता है.
इसी को देखते हुए सेंट्रल बफैलो रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआईआरबी), हिसार और आईआईटी, रुढ़की एक खास डिवाइस पर काम कर रहे हैं. हालांकि रिसर्च शुरु होने को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रहीं थी. लेकिन जानकारों की मानें तो अब ये काम शुरू हो चुका है. उनकी इस रिसर्च में बिल गेट्स फाउंडेशन संस्था भी मदद कर रही है. गौरतलब रहे हमारा देश दूध उत्पादन के मामले में नंबर वन है. लेकिन हमारे देश में दूध देने वाले पशुओं की संख्या दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा है. जबकि प्रति पशु दूध उत्पादन के मामले में हम काफी पीछे हैं.
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सीआईआरबी के साइंटिस्ट की मानें तो इस खास डिवाइस पर काम चल रहा है. जल्द ही ये तैयार हो जाएगी. अगर इस डिवाइस के इस्तेमाल की बात करें तो उसके लिए मोबाइल में एक खास ऐप डाउनलोड करनी होगी. डिवाइस तभी काम करेगी जब ऐप वाला मोबाइल डिवाइस की रेंज में होगा. मोबाइल की रेंज में आते ही डिवाइस से भैंस के यूरिन की जांच की जाएगी. डिवाइस यूरिन की जांच रिपोर्ट ऐप को भेज देगी. अब ऐप पर आने वाली रिपोर्ट की साइंटिस्ट या एक्सपर्ट मॉनिटरिंग करेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक भैंस को जैसे हरे और सूखे चारे के साथ मिनरल्स की जरूरत है तो ऐप पर ही ये सलाह अपडेट कर दी जाएगी.
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एक्सपर्ट की मानें तो डिवाइस यूरिन की जांच चार विषयों को ध्यान में रखते हुए करेगी. जैसे भैंस की खुराक, हैल्थ, व्यवहार और भैंस का गाभिन होना. भैंस में कुछ सेंसर चिप भी लगाई जाएंगी. इनकी मदद से भैंस का मेडिकल अपडेट मिलता रहेगा. साथ ही अगर उसके व्यवहार में जरा सा भी बदलाव आ रहा होगा तो उसकी जानकारी पशुपालक को मिल जाएगी. एक्सपर्ट का मानना है कि ये सब होने के बाद भैंस का दूध उत्पादन करीब चार गुना तक हो जाएगा. बिना किसी परेशानी के भैंस बच्चा भी लगातार देगी.