बकरे के मीट कारोबार में किसी भी तरह की कोई छुट्टी नहीं है. बल्किा छुट्टी जैसे कई खास मौकों पर मीट की डिमांड और बढ़ जाती है. पार्टी, शादी-ब्याह में भी बकरे की खूब डिमांड रहती है. बकरीद के मौके पर तो मानों बकरे के दाम दोगुने तक हो जाते हैं. देश के अलावा लाखों की संख्या में सऊदी अरब के लिए भारत, पाकिस्तादन और बांग्लादेश से बकरे एक्सपोर्ट होते हैं. बकरे पालकर ऐसे ही खास मौकों पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है.
एक्सपर्ट की मानें तो गोट फार्म शुरू करने से पहले यह जान लेना बेहद जरूरी है कि देश में किस-किस नस्ल के बकरे-बकरी पाए जाते हैं. कौनसी नस्ल की बकरी दूध के काम आती है तो किस खास नस्ल का बकरा मीट के लिए पसंद किया जाता है. किस वातावरण में कौनसा बकरा आसानी से बिना किसी परेशानी के पाला जा सकता है.
राजाखेड़ा, धौलपुर के बकरा कारोबारी फहीम बताते हैं कि मुम्बई में रोजाना के बाजार में बकरों की बहुत डिमांड रहती है. बकरीद के मौके पर भी मुम्बई में बड़ी संख्या में बकरों से भरे ट्रक जाते हैं. गुजरात और राजस्थान मुम्बई की डिमांड को पूरा करते हैं. इसके अलावा दुर्गा पूजा के मौके कोलकाता भी लाखों की संख्या में बकरे सप्लाई होते हैं.
देश में बकरे-बकरियों की करीब 37 नस्ल पाई जाती हैं. इसमे से कुछ सिर्फ दूध के लिए पाली जाती हैं तो कुछ दूध और मीट दोनों के लिए पाले जाते हैं. यूपी की खास नस्ल बरबरी है. इसी नस्ल के बकरे को बरबरा बकरा कहा जाता है. इसकी देश के अलावा अरब देशों में भी खासी डिमांड रहती है. इसके अलावा बंगाल का ब्लैक बंगाल, पंजाब का बीटल बकरा भी डिमांड में रहता है. इसके अलावा और भी नस्ल हैं जो मीट के लिए पाली जाती हैं. खासतौर पर बरबरा और ब्लैक बंगाल बकरा तो हाथों-हाथ बिकता है.
इस नस्ल के बकरे की हाइट दो से ढाई फुट तक होती है. हाइट ज्यादा न होने से खूब मोटा ताजी दिखता है. एक साल की उम्र में ये कुर्बानी के लिए तैयार हो जाता है. इसके कान छोटे और खड़े होते हैं. ये आगरा, इटावा, फिरोजाबाद, मथुरा और कानपुर में पाया जाता है. इस बकरे के रेट कम से कम 10 हजार रुपये से शुरु होते हैं. इसी साल बकरीद के मौके पर यूपी में इसी नस्ल के तीन बकरे 1.60 लाख रुपये के बिके थे.
ये ब्राउन और ब्लैक कलर में पाया जाता है. इस पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इस नस्ल का बकरा दिखने में खासा ऊंचा होता है. ये नस्ल सिर्फ राजस्थान में ही पाई जाती है. ये बकरा बाजार में कम से कम 12 से 15 हजार रुपये में मिल जाता है.
इस नस्ल का बकरा पतला और लम्बा होता है. ऊंचाई कम से कम 3.5 से 4 फुट तक होती है. बाजार में बिकने के लिए तैयार होने में ये कम से कम 3 साल लेता है. ये नस्ल हरियाणा के मेवात और राजस्थान के भरतपुर जिले में पाई जाती है. इसकी बिक्री 12 से 13 हजार रुपये से शुरु होती है.
जमनापारी नस्ल यूपी के इटावा में मिलती है. ये लम्बा होता है और इसके कान मीडियम साइज के होते हैं. दिखने में मोटा और भारी होता है. इसके कान पर काला धब्बा जरूर होता है. ये 12 से 20 हजार रुपये में आसानी से मिल जाता है.
ये हैं बकरों की बड़ी मंडी- जसवंत नगर (यूपी), कालपी (मध्य प्रदेश), महुआ, अलवर (राजस्थान) और मेवात (हरियाणा), बकरों की बड़ी मंडी हैं. यहां से देश में ही नहीं विदेशों में भी बकरा जाता है.