Livestock Bill 2023 यानी पशुधन (आयात और निर्यात) विधेयक 2023 सुर्खियों में बना हुआ है. केंद्रीय पशुपालन व डेयरी मंत्रालयर ने 7 जून के इस बिल के मसाैदे को सार्वजनिक किया था, जिस पर जवाब देने के लिए 10 दिन यानी 17 जून तक समय निर्धारित किया गया था, लेकिन लाइवस्टॉक बिल 2023 का डाॅफ्ट सार्वजनिक होते ही इसका विरोध तेज गया. मसलन, सोशल मीडिया में इसके खिलाफ अभियान तक चलाए जाने लगे. तो वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने इस बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इन तमाम विरोधों के बाद केंद्र सरकार ने बीते रोज इस बिल को वापस लेने संबंधी आदेश को जारी कर दिया है. आइए समझते हैं कि ऐसे कौन से 6 संभावित कारण रहे कि केंद्र सरकार ने इस बिल को वापस लेने का फैसला लिया.
Livestock Bill 2023 के मसौदे में पशुधन की परिभाषा का विस्तार किया गया था.नए बिल में पशुधन में बिल्लियों, कुत्तों, गौवंश, घोड़े और अन्य जानवरों को दर्शाया गया. इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य ये था कि उन्हें एक्सपोर्ट किया जा सके, लेकिन बिल में पशुधन की नई परिभाषा कई लोगों को पसंद नहीं आई और इसका विरोध तेज हुआ. इस पूरे मामले को लेकर पशु अधिकार कार्यकर्ता संजय महापात्र कहते हैं कि कुत्ते, गोवंश, बिल्लिया और घोड़े, भारत के कुछ ऐसे जानवर हैं, जिन्हें करोड़ों घरों में परिवार के सदस्य के रूप में माना जाता है. जिन्हें एक्सपोर्ट के लिए पशुधन के रूप में मानना स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है. साथ ही, शाकाहारी हिंदू जैन, वैश्य, ब्राह्मण और कई अन्य समुदायों ने संयुक्त रूप से मांस खाने पर प्रतिबंध लगाने वाली धार्मिक प्रथाओं के कारण प्रस्तावित बिल का विरोध किया.
बेशक पशुपालन और डेयरी मंत्रालय लाइवस्टॉक बिल 2023 का मसौदा लेकर आया था, लेकिन बिल के मसौदे में कई बिंदुओं पर अस्पष्टता रही. इस वजह से भी बिल का विरोध हुआ. मसलन, बिल के मसौदे में पशुओं को एक्सपोर्ट-इंपोर्ट करने में कैसे ट्रांसपोर्ट किया जाएगा, उस पर कोई उल्लेख नहीं किया गया है. असल में ऐसे जानवरों का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बड़े पैमाने पर समुद्र के रास्ते किया जाता, जिसमें कई दिन लग जाते हैं. ऐसे में जानवरों को पर्याप्त जगह, भोजन और पानी की जरूरत होती है, जो ऐसे जहाजों पर कम होता है.
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पीएफए की सदस्य सुरभि रावत कहती हैं कि जानवरों को पर्याप्त भोजन या पानी दिए बिना तंग जगहों में ले जाने का कोई बहाना नहीं हो सकता है. जानवरों के परिवहन का मतलब अतिरिक्त यातना है क्योंकि उन्हें कम से कम खिलाया जाता है और न्यूनतम पानी दिया जाता है ताकि उनका मलत्याग न्यूनतम रहे.
लाइवस्टॉक बिल 2023 को वापस लिए जाने की एक मुख्य वजह कोरोना संक्रमण जैसी बीमारियां भी मानी जा रही हैं.पीएफए की सदस्य सुरभि रावत कहती हैं कि जानवरों में कई अज्ञात बीमारियां होती हैं, जो उन्हें इंपोर्ट-एक्सपोर्ट किए जाने के दौरान फैल सकती हैं, जब जानवर छोटे स्थानों में ठूंस दिए जाते हैं.जैसे चमगादड़ों से कोरोना फैलने की बातें कहकी जाती हैं. मसलन, जानवरों की कई अन्य प्रजातियां ऐसी घातक बीमारी ला सकती हैं, जो मानव जाति के लिए अज्ञात हैं. ऐसी प्रथाएं बंद होनी चाहिए.
लाइवस्टॉक बिल 2023 को जहां छुट्टा पशुओं की समस्या के समाधान के तौर पर प्रसारित किया जा रहा था. वहीं ये बात इसके विरोध का कारण भी बनी. असल में ये बिल वध के लिए पशुओं के एक्सपोर्ट करने की इजाजत देता है, जो देश के शाकाहारियों के साथ ही मांसाहारियों को भी पसंद नहीं आया. इसको लेकर पशु अधिकार कार्यकर्ता कावेरी राणा भारद्वाज कहती हैं कि भारत गांवों का देश है, गांवों में जानवरों और लोगों के बीच एक गहरा रिश्ता है. हम बड़े पैमाने पर शाकाहारी हैं, एक देश के रूप में, हम अपने जानवरों को मांस के लिए किसी अन्य देश में वध करने के लिए ले जाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं. बिल का ये प्रावधान भारत की भावना के साथ अन्याय था.
लाइवस्टॉक बिल 2023 के मसौदे में पशुओं को कमोडिटी में शामिल करने की बातें कहीं गई थी. जिसका विरोध बड़े स्तर पर किया गया. इसका विराेध करने वाले लोगों का कहना था कि देश में पशुओं की खरीद के लिए एक परंपरा है. मसलन, पशुओं की खरीद के लिए पशु मेलों का आयोजन होता है, लेकिन पशुओं को कमोडिटी में शामिल किए जाने संबंधी नियम के बाद पशुओं की खरीद बेहद ही आसान हो जाती, जो कई मायनों में खराब हो सकती थी. इससे घर के पास ही पशुओं की खरीद फरोख्त शुरू हो जाती.
लाइवस्टॉक बिल 2023 के मसौदे में एक्सपोर्ट किए जा सकने वाले पशुओं के प्रजनन के बारे में कोई रेगुलाइजेशन की व्यवस्था नहीं की गई थी. असल में देश में बिल्लियों, कुत्तों, घोड़े या गोवंश के प्रजनन के लिए वस्तुतः कोई नियम नहीं है. सभी को लालच के लिए खतरनाक दर पर पाला जा रहा है, लेकिन इसके सालों बाद आ रहे बिल में उम्मीद थी कि इसकेो लेकर कोई नियम बनेगा. जिसको लेकर भी कई विरोध हुए. (रिपोर्ट-अभिषेक आंनद)