Cow Milk Production in World हजारों साल से भारत में गाय और गाय के दूध का महत्व है. ब्रज क्षेत्र की तो पहचान ही गाय और दूध-घी, मक्खन से ही है. एक धर्म के मुताबिक तो गाय का धार्मिक महत्व भी है. ये सब बात हम इसलिए कर रहे हैं कि एक बार फिर विश्व में भारत की चर्चा गाय के दूध को लेकर हो रही है. इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन (आईडीएफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा गाय के दूध का उत्पादन भारत में हो रहा है. गाय के दूध उत्पादन के मामले में भारत ने यूएसए और चीन तक को पीछे छोड़ दिया है.
सिर्फ 27 देश वाले यूरोपिय यूनियन में ही भारत से ज्यादा गाय के दूध का उत्पादन हो रहा है. बाकी के देश इस मामले में बहुत पीछे हैं. लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश और बेलारूस ऐसे देश हैं जहां उत्पादन तो कम है लेकिन बढ़ोतरी तेजी से हो रही है. जबकि फ्रांस, इटली, जापान और साउथ अफ्रीका में उत्पादन दर तेजी से घट रही है और माइनस में चली गई है.
हाल ही में आईडीएफ की ओर से वर्ल्ड डेयरी सिचुएशन 2024 रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2023 में भारत में गाय के दूध का उत्पादन 12.9 करोड़ टन हुआ था. हालांकि यूरोपिय यूनियन में 15.4 करोड़ टन गाय के दूध का उत्पादन हुआ है. क्योंकि यूरोपिय यूनियन में 27 देश शामिल हैं तो इसलिए भारत को गाय के दूध के बड़े उत्पादक के रूप में देखा जा रहा है. वहीं यूएसए में ये आंकड़ा 10 करोड़ टन का है. जबकि चीन में 42 लाख टन गाय के दूध का उत्पादन हुआ है. बेलारूस और पाकिस्तान में दूध उत्पादन का आंकड़ा बहुत छोटा है, लेकिन बढ़ोतरी रेट के मामले में तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं बांग्लादेश की बढ़ोतरी रेट तो भारत के 7.4 से भी बढ़कर 7.6 है.
केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मुताबिक देश में गाय-भैंस और भेड़-बकरियों की संख्या करीब 67 करोड़ है. ये वो पशु हैं जो दूध के साथ ही मीट उत्पादन में भी योगदान देते हैं. अगर इसमे से गो-पशुओं की बात करें तो उनकी संख्या 33 करोड़ हैं. पशुओं की ज्यादा संख्या के चलते ही भारत कुल दूध उत्पादन के मामले में नंबर वन है. वहीं आधे से ज्यादा पशु ऐसे हैं जो दूध नहीं देते हैं.
नस्ल और दूध बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) की शुरुआत की गई थी. खासतौर पर छोटे पशुपालकों को ध्यान में रखते हुए योजना की शुरुआत साल 2014 में की गई थी. पांच साल की इस योजना के लिए 2400 करोड़ रुपये दिए गए थे. इस योजना का खास मकसद गाय-भैंस की सभी तरह की देसी नस्ल को बढ़ावा देना था. साथ ही दूध की बढ़ती डिमांड को देखते हुए दूध उत्पादन में बढ़ोतरी भी एक मकसद था. और हुआ भी कुछ ऐसा ही. सरकारी आंकड़ें बताते हैं कि साल 2013-14 में दुधारू पशुओं की संख्या 84.09 मिलियन थी. साल 2021-22 में ये आंकड़ा 120.19 मिलियन पर पहुंच गया था. वहीं गोपशु दूध उत्पादन साल 2014-15 में 29.48 मिलियन के मुकाबले 2020-21 में मिलियन टन हो गया था.
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