Silage चारे की कमी डेयरी एक्सपर्ट से लेकर साइंटिस्ट और पशुपालकों से लेकर बिजनेसमैन तक को सोचने पर मजबूर कर रही है. एक तो मौसम का असर दूसरा ये कि सरकारी चारागाह की बड़ी-बड़ी जमीनों पर कब्जे हो गए हैं. एक और परेशानी ये है कि जब किसी खास मौसम में हरा या सूखा चारा खूब होता है तो उस वक्त न तो पशु को ज्यादा खिला सकते हैं और न ही स्टोर करने के लिए साइलेज बनाते हैं. क्योंकि साइलेज को लेकर अभी तक किसानों में उतनी जागरुकता नहीं आई है. इसके चलते हालात ये हैं कि चारे की डिमांड बढ़ती जा रही है और उत्पादन लगातार घट रहा है.
इसका असर ये हो रहा है कि दूध की लागत बढ़ रही है और पशुपालक का मुनाफा घट रहा है. लेकिन फोडर एक्सपर्ट की सलाह है कि जून महीने में हरे चारे की चार फसल कटती हैं. इन फसलों को काटकर साइलेज बनाकर स्टोर किया जा सकता है. और इस महीने स्टोर किया गया चारा बरसात और सर्दियों के मौसम में खूब काम आएगा. जबकि बरसात वाले चारे को साइलेज बनाकर आगे के लिए स्टोर किया जा सकता है.
चारा एक्सपर्ट की मानें तो जून में ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का समेत चार फसलों की कटाई चल रही है. अच्छी बात ये है कि चारों फसल पशु उत्पादन के लिए बहुत अच्छी मानी जाती हैं. इन्हें खिलाने के साथ ही स्टोर भी किया जा सकता है. सभी तरह के मौसम में दूध देने वाले पशुओं के लिए हरा चारा बहुत जरूरी है. क्योंकि हरे चारे से ही दूध की लागत कम होती है. इतना ही नहीं हरा चारा दूध का उत्पादन बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है.इस्तेमाल करने के साथ ही एक्सट्रा बनाया हुआ साइलेज बाजार में बेचकर और ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.
फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि घर पर भी हरे चारे से साइलेज बड़ी ही आसानी से बनाया जा सकता है. लेकिन जरूरत है बस थोड़ी सी जागरुकता के साथ कुछ सावधानी बरती जाए. जैसे पतले तने वाले चारे की फसल को पकने से पहले ही काट लें. उसके बाद तले के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. उन्हें तब तक सुखाएं जब तक उनमे 15 से 18 फीसद तक नमी ना रह जाए. हे और साइलेज के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल का चुनाव करें. क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखेगी. कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है.
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