Goat Farming: बकरी और उसके बच्चों को प्लेग-चेचक से बचाना है तो अपनाएं ये उपाय, पढ़ें डिटेल 

Goat Farming: बकरी और उसके बच्चों को प्लेग-चेचक से बचाना है तो अपनाएं ये उपाय, पढ़ें डिटेल 

गर्मी शुरू होते ही सबसे पहले तो बकरी पालक को बकरियों के आवास में बदलाव करना चाहिए. बकरियों के शेड को इस तरह से ढक दें कि उसमे गर्म हवाएं आसानी से न आएं. दूसरा यह कि दोपहर एक बजे से चार बजे तक बकरियों और उनके बच्चों को चराने न ले जाएं. सुबह और शाम में ही बकरियों को चराने ले जाएं.

बकरी पालनबकरी पालन
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Apr 15, 2025,
  • Updated Apr 15, 2025, 4:01 PM IST

प्लेग और चेचक बकरियों समेत उनके बच्चों के लिए भी एक जानलेवा बीमारी है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो इसी बीमारी के चलते बकरी पालन में मृत्यु दर बढ़ती है. और तो और बकरी के पालन के मुनाफे को सबसे ज्यादा प्रभावित भी यही बीमारी करती हैं. लेकिन, अगर वक्त रहते बकरियों या फिर उनके बच्चों को इलाज न मिले तो इस बीमारी के चलते तीन से चार दिन में ही बच्चों की मौत हो जाती है. लेकिन एक्सपर्ट की सलाह पर बकरी प्लेग और चेचक और के लक्षणों की पहचान कर बकरियों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है. 

एक्सपर्ट का कहना है कि जब बकरियों और उनके बच्चों में बकरी प्लेग के चलते निमोनिया होता है तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. बुखार आने लगता है. इतना ही नहीं उनकी नाक भी बहने लगती है. किसान इन लक्षणों को अच्छी तरह से पहचानते हैं. इसलिए लक्षण दिखाई देने पर इलाज में देरी न करें.

बकरी प्लेग और चेचक की ऐसे कर सकते हैं पहचान 

गोट एक्सपर्ट डॉ. एनके सिंह का कहना है कि आमतौर पर फरवरी-मार्च में बकरी प्लेग की शुरुआत होती है. अगर प्लेग की बात करें तो इसकी पहचान यह है कि बकरी को दस्त होने लगते हैं. निमोनिया होने से नाक भी बहने लगती है. तेज बुखार आता है. बड़ी बकरियों से ही यह बीमारी उसके बच्चों में भी फैलने लगती है. इसी तरह से बकरी को चेचक होने पर निमोनिया होता है और तेज बुखार आने लगता है. बकरी चारा खाना छोड़ देती है. बच्चे भी दूध कम ही पीते हैं. 

बकरी प्लेग-चेचक के लक्षण दिखें तो करें यह उपाय 

डॉ. एनके सिंह ने बताया कि बकरी प्लेग और चेचक का सबसे बड़ा उपाय तो यही है कि इसके होने पर हम इसके भारी-भरकम खर्च से बचें. और यह इस तरह संभव है कि हम प्लान के मुताबिक बकरियों को प्लेग और चेचक के टीके लगवाते रहें. क्योंकि टीके लगवाने का खर्च जहां बहुत ही मामूली होता है और सरकारी केन्द्रों  पर तो यह फ्री में ही लग जाते हैं. वहीं अगर यह बीमारी बकरियों को लग जाए तो इलाज में काफी पैसा खर्च हो जाता है. यूपी में तो बार्डर वाली जगहों पर यह टीके फ्री में लगाए जाते हैं. साथ ही एक जरूरी कदम यह भी उठाएं कि अगर बकरी को प्लेग या चेचक हो जाए तो उसे फौरन ही दूसरी बकरियों से अलग कर दें. कहने का मतलब यह है कि सेहतमंद बकरी और बीमारी बकरियों को अलग-अलग बांधे. 
 

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