Animal Fodder: डेयरी-पशुपालन में कमाना है मोटा मुनाफा, तो चारा कारोबार में करें ये 15 काम, पढ़ें डिटेल 

Animal Fodder: डेयरी-पशुपालन में कमाना है मोटा मुनाफा, तो चारा कारोबार में करें ये 15 काम, पढ़ें डिटेल 

Dairy and Fodder बीते साल देश में 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ है. दूध के मामले में हमारा देश विश्व में पहले नंबर पर है. लेकिन इसके बाद भी डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट के मामले में हमारी पोजिशन अच्छी नहीं है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो इसके पीछे बहुत सारी वजह हैं. इसमे एक बड़ी वजह सभी तरह का चारा समेत मिनरल्स भी हैं.  

Himachal Cattle Fodder Subsidy IncreasedHimachal Cattle Fodder Subsidy Increased
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 23, 2025,
  • Updated May 23, 2025, 5:23 PM IST

Dairy and Fodder दूध उत्पादन के मामले में देश लगातार आगे बना हुआ है. बीते साल ही 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था. हर साल दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है. विश्व में भी देश बीते कई साल से नंबर वन बना हुआ है. यही वजह है कि पशुपालन सेक्टर में सभी तरह के चारे की डिमांड बढ़ती जा रही है. हरे-सूखे चारे के साथ ही मिनरल्स की भी लगातार कमी बनी हुई है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट न बढ़ने के पीछे चारा भी एक वजह है. यही वजह है कि डेयरी और पशुपालन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी कांफ्रेंस और सेमिनार में चारे पर चर्चा जरूर होती है. 

हाल ही में नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की ओर से आनंद, गुजरात में एक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था. इस कांफ्रेंस का विषय “फ्यूचर रोडमैप ऑफ इंडियन डेयरी सेक्टर” रखा गया था. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो देश में तीनों तरह हरे-सूखे और मिनरल्स चारे की कमी 25 फीसद से भी ऊपर निकल गई है. यही वजह है कि दूध और उससे बने प्रोडक्ट महंगे होते जा रहे हैं. महंगे प्रोडक्ट की वजह से देश के डेयरी प्रोडक्ट, एक्सपर्ट मार्केट में अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं.  

चारा सेक्टर में ये 15 काम किए तो खूब होगी कमाई 

फोडर एक्सपर्ट की मानें तो डेयरी में पशुओं के पोषण को वरीयता दी जानी चाहिए. उत्पादकता बढ़ाने पर काम होना चाहिए. चारे की कमी या फिर इमरजेंसी के हालात में लगातार चारे की सप्लाई बनी रहे इसके लिए क्षेत्रीय चारा बैंक और स्टोरेज गोदाम स्थापित करने चाहिए. क्वालिटी के चारे और बीजों की सप्लाई में सुधार के लिए राज्यवार योजनाएं बननी चाहिए. इंपोर्ट को कम करते हुए बरसीम जैसे फलीदार बीजों की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने पर जोर दें. नॉन फारेस्ट बंजर जमीन, चरागाह भूमि और सामुदायिक भूमि का इस्तेमाल हरे चारे की खेती के लिए करना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि कुछ खास कदम उठाय जाएं, जैसे- 

  • चारा बीज प्रोसेसिंग और स्टो‍रेज के लिए सुविधाओं को बढ़ाया जाए. 
  • ज्यादा पोषण मूल्य वाली चारा फसलों के विकास और मीथेन उत्सर्जन को कम करने की जरूरत है.
  • ज्या दा चारा करने वाले क्षेत्रों से कम चारे वाले क्षेत्रों में चारे के लिए ट्रांसपोर्ट पॉलिसी बनाई जाए. 
  • फसल के अवशेष के ब्लॉक, गांठ, टीएमआर और छर्रों आदि के ट्रांसपोर्ट के लिए प्रोत्साहन दें.
  • दूध उत्पादन दक्षता में सुधार के लिए सटीक फीडिंग विधियों पर काम हो. 
  • रेडी-टू-ईट टोटल मिक्चर रोशन में निवेश करें.
  • क्वालिटी के फीड उत्पादन सुनिश्चित करने और दूषित पदार्थों को कंट्रोल करने के लिए नियम बनें.  
  • चारा प्लस एफपीओ का लाभ उठाया जाए और एक मॉडल की तरह पेश कर दूसरों को प्रोत्साहित करें.  
  • डेटाबेस मैनेजमेंट और सूचना एक्सचेंज करने के लिए राष्ट्रीय या क्षेत्रीय चारा ऑनलाइन प्लेटफार्म बने. 

ये भी पढ़ें- Animal Care: मई से सितम्बर तक गाय-भैंस के बाड़े में जरूर करें ये खास 15 काम, नहीं होंगी बीमार  

ये भी पढ़ें-Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा

MORE NEWS

Read more!