Dairy and Fodder दूध उत्पादन के मामले में देश लगातार आगे बना हुआ है. बीते साल ही 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था. हर साल दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है. विश्व में भी देश बीते कई साल से नंबर वन बना हुआ है. यही वजह है कि पशुपालन सेक्टर में सभी तरह के चारे की डिमांड बढ़ती जा रही है. हरे-सूखे चारे के साथ ही मिनरल्स की भी लगातार कमी बनी हुई है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट न बढ़ने के पीछे चारा भी एक वजह है. यही वजह है कि डेयरी और पशुपालन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी कांफ्रेंस और सेमिनार में चारे पर चर्चा जरूर होती है.
हाल ही में नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की ओर से आनंद, गुजरात में एक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था. इस कांफ्रेंस का विषय “फ्यूचर रोडमैप ऑफ इंडियन डेयरी सेक्टर” रखा गया था. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो देश में तीनों तरह हरे-सूखे और मिनरल्स चारे की कमी 25 फीसद से भी ऊपर निकल गई है. यही वजह है कि दूध और उससे बने प्रोडक्ट महंगे होते जा रहे हैं. महंगे प्रोडक्ट की वजह से देश के डेयरी प्रोडक्ट, एक्सपर्ट मार्केट में अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं.
फोडर एक्सपर्ट की मानें तो डेयरी में पशुओं के पोषण को वरीयता दी जानी चाहिए. उत्पादकता बढ़ाने पर काम होना चाहिए. चारे की कमी या फिर इमरजेंसी के हालात में लगातार चारे की सप्लाई बनी रहे इसके लिए क्षेत्रीय चारा बैंक और स्टोरेज गोदाम स्थापित करने चाहिए. क्वालिटी के चारे और बीजों की सप्लाई में सुधार के लिए राज्यवार योजनाएं बननी चाहिए. इंपोर्ट को कम करते हुए बरसीम जैसे फलीदार बीजों की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने पर जोर दें. नॉन फारेस्ट बंजर जमीन, चरागाह भूमि और सामुदायिक भूमि का इस्तेमाल हरे चारे की खेती के लिए करना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि कुछ खास कदम उठाय जाएं, जैसे-
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