Deworming in Rainy Season दूध और मीट का उत्पादन करने वाला पशु छोटा हो या बड़ा बरसाती बीमारी सभी को परेशान करती है. खासतौर से बरसात के मौसम में पेट के कीड़ों की परेशानी. कई बार दूषित चारा और दूषित पानी पीने के चलते छोटे-बड़े सभी पशु इसकी चपेट में आ जाते हैं. और जब पशु के पेट में कीड़े होते हैं तो उसका असर दूध-मीट के उत्पादन समेत पशुओं के प्रजनन पर भी पड़ता है. एनिमल एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बीमारी में कभी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. बरसात शुरु होने से पहले या होने के बाद पशुओं को कृमिनाशक दवाई जरूर खिलाएं.
पशु एक्सपर्ट डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पशुओं के पेट में कीड़ों से जुड़ी कुछ बातें बताई हैं.
जब गाय-भैंस के पेट में कीड़े होते हैं तो उन्हें खुलकर भूख लगती है.
ऐसे में गाय-भैंस ही नहीं भेड़-बकरी भी सामान्य खुराक से ज्यादा चारा खाते हैं.
वो जितना भी चारा खाते हैं तो उसका एक बड़ा हिस्सा पेट के कीड़े खा जाते हैं.
खूब खाने के बाद भी पशु का दूध उत्पादन घट जाता है.
पेट में कीड़े होने पर पशु सुस्त अनबना सा रहने लगता है.
पेट के कीड़ों की बीमारी के चलते कभी-कभी पशु की मौत भी हो जाती है.
जैसे ही ऊपर बताए लक्षण पशु में दिखें तो उसे तुरंत ही डॉक्टर को दिखाएं.
बरसात शुरू होने से पहले ही पशुओं को पेट के कीड़ों की दवा खिलवा दें.
सभी पशु स्वास्य्य केन्द्रों में ये दवाई फ्री खिलाई जाती है.
पशुओं के हरे चारे में ही बहुत सारी बीमारियों का इलाज है.
बरसात के मौसम में नीम, अमरुद, जामुन की पत्तियां पशुओं को खिलाएं.
पेट के कीड़े के मामले में पेड़ों के ये पत्ते बहुत ही अच्छी दवा मानें जाते हैं.
यह वो पेड़-पौधे हैं जिसमे दवाईयों के गुण भी हैं.
गाय-भैंस, भेड़-बकरियों के पेट में कीड़े होना आम बात है. हरा चारा खिलाने और पीने पिलाने में अगर जरा सी भी लापरवाही हो जाए तो ये परेशानी खड़ी हो जाती है. इसलिए इससे बचने का उपाय ये ही है कि बरसात के दौरान पशुओं को देखभाल को लेकर ज्यादा अलर्ट हो जाएं.
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