Animal Care in Flood अक्सर देखा जाता है कि बरसात के दौरान देश के कई हिस्सों में बाढ़ भी अपना असर दिखाती है. इस हालात में खासतौर पर पशुपालकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक तो सबसे बड़ी कवायत ये होती है कि बाढ़ के पानी से पशुओं को कैसे बचाया जाए. दूसरा ये कि बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों से पशुओं को बचाना. क्योंकि जितना नुकसान बाढ़ का पानी नहीं करेगा, उससे ज्यादा ये बीमारियां कर देती हैं. कई बार तो इन बीमारियों के चलते दर्जनों पशुओं की मौत तक हो जाती है.
बाढ़ के बाद की महामारी से पशुओं को कैसे बचाएं?
- गाय-भैंस के चार महीने के बच्चे से टीका लगना शुरू हो जाता है.
- गलघोंटू, मिल्क फीवर, थनेला बीमारी टीका लगवाकर रोकी जा सकती है.
- मॉनसून शुरू होने से पहले जरूरी टीके लगवा लें.
- पहले टीके नहीं लगवाए हों तो बरसात के बीच में भी लगवा सकते हैं.
- गांव के पशु अस्पताल में जाकर ये सभी टीके लगवाए जा सकते हैं.
- पशु को पेट के कीड़े की दवा भी बरसात में जरूर खिलाएं.
बरसात-बाढ़ में पशुओं का कैसे रखें ख्याल?
- बरसात के दिनों में संक्रमण रोग ज्यादा होते हैं.
- इसलिए बाड़े में सभी पशुओं को एक साथ कभी न बांधे.
- हैल्थी पशुओं को अलग रखें और बीमार को अलग बांधे.
- पशुओं के छोटे बच्चों को बड़े पशुओं से अलग रखना चाहिए.
- जो पशु गाभिन हैं या फिर बच्चा दे चुके हैं उन्हें भी अलग रखना चाहिए.
- गाभिन या बच्चा दे चुके पशुओं को खाने के लिए अच्छी खुराक दें.
- पशुओं को मक्खी और मच्छर से बचाने के लिए फोगिंग कराएं.
- कोई पशु मर जाता है तो उसे यहां-वहां खुले में न फेंककर मिट्टी में दबाएं.
- मरे हुए पशु को दफनाने के बाद उसके ऊपर नमक जरूर डालें.
- बरसात के दौरान पशुओं को चमड़ी के रोग न होने दें.
- पशु को हाथ लगाने से पहले और उसके बाद अपने हाथ को सेनेटाइज जरूर करें.
- शेड में नए आए पशु को 15 दिन के लिए दूसरे पशुओं से अलग रखें.
निष्कर्ष-
बाढ़ आने पर पशुओं का हरा चार और पीने का पानी सभी दुषित हो जाते हैं. इसलिए खास ख्याल रखें कि बहुत जांच के बाद ही पीने को पानी और खाने में हरा चारा दें. क्योंकि ये दोनों ही चीजें अक्सर पशुओं में बीमारियों की बड़ी वजह बनती हैं.
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