कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने वाले कार्यों में बकरी पालन को भी शामिल किया जाने लगा है. देश में किसान, पशुपालन क्षेत्र में बकरी पालन को गाय के बाद सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. देश में बकरी के दूध का उत्पादन, कुल उत्पादित दूध का लगभग 3 प्रतिशत है. जबकि भैंस का 45 प्रतिशत और गाय का 51 फीसदी योगदान बताया गया है. पशु वैज्ञानिक चेतना गंगवार, एके दीक्षित, मनीष कुमार , बी राय और मनीष कुमार ने अपने एक लेख में बताया है कि कम लागत में अधिक लाभ देने के कारण ही बकरी को आमतौर पर 'गरीब की गाय' भी कहा जाता है. देश में बकरियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर लोगों को आजीविका का साधन मिल रहा है.
विश्व में बकरियों की लगभग 108 प्रजातियां हैं. इनमें से 37 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं. 20वीं पशु गणना वर्ष 2019 के अनुसार, देश में बकरियों की संख्या 14.8 करोड़ तक पहुंच गई है. यह साल 2012 में हुई 19वीं पशु गणना की तुलना में 10.14 प्रतिशत अधिक है. वर्ष 2018-19 के अनुसार, देश में बकरी का मांस उत्पादन 1097.91 हजार टन था. अगर आपको बकरी पालन में फायदा कमाना है तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा. सतर्क रहना होगा कि उन्हें कोई रोग न लगे.
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विशेषज्ञों ने बकरी पालकों को सलाह दी है कि वो हर रोज सुबह बकरियों की जांच करें. जो बकरी बीमार हो उसे बाकी बकरियों से अलग करें, अन्यथा दूसरी बकरियों में रोग फैलने की संभावना रहती है. हर तीन महिने में बकरियों को कृमि नाशक दवाई पिलाएं. विशेष तौर पर बरसात के पहले और बरसात के बाद. यह बहुत जरूरी काम है. इसके लिए अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करें. हर चार महिने में बकरियों को खुजली से बचाने के लिए कृमि नाशक दवाई से नहलाएं. इसके लिए अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
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