Himachali Pahari Cow: ये है हिमाचल की देसी नस्ल की पहली गाय, इसके बैल भी होते हैं खास, जानें पहचान और विशेषताएं 

Himachali Pahari Cow: ये है हिमाचल की देसी नस्ल की पहली गाय, इसके बैल भी होते हैं खास, जानें पहचान और विशेषताएं 

Himachali Pahari Cow Dairy Farming: जो किसान डेयरी फार्मिंग के साथ-साथ खेती करते हैं वो किसान हिमाचली पहाड़ी या गौरी गाय का पालन कर सकते हैं. इस नस्ल की गाय एक ब्यान्त में औसतन 538 लीटर तक दूध देती है. जबकि न्यूनतम 300 लीटर और अधिकतम 650 लीटर तक दूध देती है. ऐसे में आइए हिमाचली पहाड़ी या गौरी गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं- 

हिमाचली पहाड़ी या गौरी गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर हिमाचली पहाड़ी या गौरी गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर
व‍िवेक कुमार राय
  • Noida ,
  • Aug 21, 2023,
  • Updated Aug 21, 2023, 4:44 PM IST

Himachali Pahari Cow Dairy Farming: हिमाचली पहाड़ी गाय एक देशी नस्ल की गाय है. यह भारत में एक लोकप्रिय नस्ल है. हिमाचली पहाड़ी नस्ल के मवेशी चंबा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर और लाहौल-स्पीति आदि जिलों में पाए जाते हैं. वहीं हिमाचली पहाड़ी गाय को गौरी गाय के नाम से भी जाना जाता है. मालूम हो कि ‘हिमाचली पहाड़ी’ गाय हिमाचल प्रदेश की पहली देसी नस्ल की गाय है. इसे ब्रीड रजिस्ट्रेशन कमेटी ऑफ नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक्स करनाल द्वारा स्वीकृत और पंजीकृत किया गया है. इस नस्ल के मवेशी प्रदेश के कम चारे वाले बहुत ऊंचे व अत्यंत ठंडे इलाकों में रहते हैं. वहीं पहाड़ी गाय प्रतिदिन लगभग एक से तीन लीटर तक दूध देती है.

हिमाचली पहाड़ी नस्ल के मवेशी काला और काला-भूरा रंग के होते हैं. आमतौर पर सींग का आकार मध्यम, पीछे और ऊपर की ओर मुड़ा हुआ होता है. वहीं हिमाचली पहाड़ी गाय एक ब्यान्त में औसतन 538 लीटर तक दूध देती हैं. जबकि न्यूनतम 300 लीटर और अधिकतम 650 लीटर तक दूध देती हैं. ऐसे में आइए हिमाचली पहाड़ी या गौरी गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं- 

हिमाचली पहाड़ी या गौरी गाय की पहचान और विशेषताएं

हिमाचली पहाड़ी या गौरी गाय की पहचान और विशेषताएं

•    हिमाचली पहाड़ी गाय नस्ल के मवेशी काला और काला-भूरा रंग के होते हैं.
•    सींग का आकार मध्यम, पीछे और ऊपर की ओर मुड़ा हुआ होता है.
•    हिमाचली पहाड़ी गाय एक ब्यान्त में औसतन 538 लीटर तक दूध देती है.
•    न्यूनतम 300 लीटर और अधिकतम 650 लीटर तक दूध देती हैं.
•    पहले ब्यान्त की औसतन उम्र 50 महीने होती है.
•    दूध में फैट औसतन 4.68 प्रतिशत पाया जाता है.
•    हिमाचली पहाड़ी गाय के दूध में न्यूनतम 4.06 प्रतिशत और अधिकतम 5.83 प्रतिशत फैट पाया जाता है.
•    प्रौढ़ या वयस्क गायों की औसतन ऊंचाई 98.3 सेमी. होती है, जबकि प्रौढ़ बैलों की ऊंचाई औसतन 110.3 प्रतिशत होती है.
•    प्रौढ़ गायों की शरीर की लंबाई औसतन 112 सेमी. होती है, जबकि बैलों की शरीर की लंबाई औसतन 140.3 सेमी. होती है.
•    गायों का वजन औसतन 180-200 किलोग्राम, जबकि बैलों का वजन औसतन 220-250 किलोग्राम तक होता है.
•    छोटे से माध्यम आकार की होती हैं.
•    गाय दूध और खाद के लिए अनुकूल होती है, जबकि बैल कार्य करने के लिए अनुकूल होते हैं. 

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हिमाचली पहाड़ी गाय पालन के दौरान किन बातों का ध्यान रखें?

गाभिन पशुओं का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए. दरअसल, अच्छा प्रबंधन करने से अच्छे बछड़े जन्म लेते हैं और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है. इसके अलावा बछड़े को सिफारिश किए गए टीके लगवाएं और रहने के लिए उचित आवास की व्यवस्था करें.

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