भारत अंडा उत्पादन के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है. चिकन उत्पादन में आठवां स्थान है. बीते साल ही देश में 14 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ था. देश के कुल मीट उत्पादन में चिकन की हिस्सेदारी 52 फीसद से भी ज्यादा है. कम मात्रा में ही सही लेकिन कुछ देशों को अंडे एक्सपोर्ट भी किए जाते हैं. लेकिन, चिकन का एक्सपोर्ट भारत से नहीं होता है. इसके पीछे कई बड़ी वजह हैं. उसमे से एक है पोल्ट्री सेक्टर में टेक्नोलॉजी की कमी. इसलिए प्रोडक्शन बढ़ाने के साथ-साथ पोल्ट्री सेक्टर को हाईटेक बनाने की भी जरूरत है. हर साल पोल्ट्री सेक्टर सात से आठ फीसद की दर से आगे बढ़ रहा है. ये तब है जब पोल्ट्री सेक्टर को केन्द्र और राज्य सरकारों की ओर से कोई खास मदद नहीं मिल रही है.
पिछले 10 साल में पोल्ट्री सेक्टर ने प्रति व्यक्ति 60 अंडे सालाना से इस आंकड़े को 101 पर पहुंचा दिया है. सरकारी मदद मिले तो एक्सपोर्ट में भी पोल्ट्री सेक्टर बहुत अच्छा कर सकता है. ये कहना है कि पोल्ट्री एक्सपर्ट का. उनका कहना है कि अकेले दौड़ रहे पोल्ट्री सेक्टर को सरकारी मदद मिले तो आज छोटे से छोटे पोल्ट्री फार्म को भी वक्त की जरूरत के हिसाब से हाइटेक बनाया जा सकता है. इससे जहां पोल्ट्री प्रोडक्ट की क्वालिटी सुधरेगी तो वहीं एक्सपोर्ट के मानक पूरे होने से कारोबार भी बढ़ेगा.
ये भी पढ़ें: Fisheries: जाड़ों में मछलियों को भी लगती है ठंड, होती हैं बीमार, जान बचाने को ऐसे दी जाती है गर्मी
पोल्ट्री इंडिया एक्सपो-2024 के मौके पर IPEMA के प्रेसिडेंट उदय सिंह ब्यास का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण की बात हो या हाइटेक तरीके से फीड खिलाने की, आज पोल्ट्री फार्म की जरूरत के हिसाब से हर तरह की टेक्नोलॉजी बाजार में आ रही है. लेकिन ये इतनी महंगी है कि छोटे पोल्ट्री फार्मर के लिए इसे खरीदना बहुत मुश्किल है. इसलिए हमारी सरकार से डिमांड है कि जिस पोल्ट्री फार्म में पांच हजार से लेकर 20 हजार तक अंडे या चिकन वाली बर्ड हैं तो उन्हें टेक्नोलॉजी खरीदने के लिए सब्सिडी दी जाए. इतना ही नहीं सब्सिडी से जो टेक्नोलॉजी खरीदी जा रही है उस पर जीएसटी से भी छूट मिले.
ये भी पढ़ें: National Milk Day: दूध ही नहीं दवाई भी हैं, क्या आप जानते हैं इन 5 फ्यूचर मिल्क के बारे में
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल डाडंडा का कहना है कि पोल्ट्री प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट मार्केट में ले जाने की तैयारी चल रही है. लेकिन कोई भी प्रोडक्ट मार्केट में तभी बिक पाता है जब उसके रेट कम हों और क्वालिटी अच्छी हो. इसीलिए जरूरत है कि पोल्ट्री प्रोडक्ट की लागत कम की जाए. इसी को ध्यान में रखते हुए ये जरूरी हो जाता है कि पूरक आहार (फीड एडिटिव) को देश में सस्ता किया जाए. ये तभी मुमिकन होगा जब आयात होने वाले फीड एडिटिव पर शुल्क घटाया जाएगा. इतना ही नहीं आयात हुए फीड एडिटिव को जीएसटी से फ्री किया जाए.