भारत में डेयरी व्यवसाय लाखों लोगों को रोजगार देता है. वहीं देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन बिजनेस को आमदनी का सबसे अच्छा और बड़ा स्रोत माना जाता है. उसमें भी गौ-पालन किसानों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. ऐसे में अगर आप डेयरी बिजनेस करने की सोच रहे हैं तो हल्लीकर नस्ल की गाय का पालन कर सकते हैं. एनडीडीबी के अनुसार हल्लीकर नस्ल की गाय एक ब्यान्त में अधिकतम 1134 लीटर तक दूध देती है. वहीं इसके दूध में औसतन 5.7 प्रतिशत फैट पाया जाता है. इसके अलावा, गायों के शरीर का औसतन वजन 200-250 किलोग्राम तक होता है, जबकि बैलों का वजन 320-380 किलोग्राम तक होता है.
वहीं हल्लीकर नस्ल के मवेशी ज्यादातर कर्नाटक के बेंगलुरु, चित्रदुर्ग, हासन, कोलार, मांड्या, मैसूर और तुमकुर जिले में पाए जाते हैं. मवेशी छोटे आकार के होते हैं. शरीर सफेद से सलेटी रंग का होता है. लंबे सींग होते हैं, जो कि सीधे और पीछे की तरफ झुके हुए होते हैं. ऐसे में आइए हल्लीकर गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं-
• आंखों और गालों तथा गर्दन या कंधे के क्षेत्र के आसपास सफेद निशान या अनियमित धब्बे होते हैं.
• हल्लीकर गाय प्रथम ब्यान्त की औसतन 37 माह के उम्र में होती है.
• यह गाय एक ब्यान्त में औसतन 542 लीटर तक दूध देती है.
• हल्लीकर नस्ल की गाय न्यूनतम 227 लीटर और अधिकतम 1134 लीटर तक दूध देती है.
• दूध में औसतन 5.7 प्रतिशत फैट पाया जाता है.
• हल्लीकर गायों की ऊंचाई 124.75 सेमी., जबकि बैलों की ऊंचाई 134.55 सेमी. होती है.
• गायों की शरीर की लंबाई 130.17 सेमी., जबकि बैलों की 138.94 सेमी. होती है.
• गायों के शरीर का औसतन वजन 200-250 किलोग्राम तक होता है, जबकि बैलों का वजन 320-380 किलोग्राम तक होता है.
• चेहरा लंबा व नाक की ओर झुकाव वाला होता है.
• नाक काले या भूरे रंग की होती है.
• सींग लंबे व सिरों पर एक दूसरे की ओर मुड़े हुए रहते हैं.
• इनका झुकाव पीछे की ओर रहता है. आंखे छोटी होती है.
• कान छोटे व झुकावदार होते हैं.
• पूंछ लंबी काले सिर वाली होती है और पिछले पैरों के जोड़ से नीचे तक लटकी रहती है.
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अगर हल्लीकर नस्ल की गाय को होने वाली बीमारियों की बात करें तो पाचन प्रणाली की बीमारियां, जैसे- सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, खारी बदहजमी, कब्ज, अफारे, मोक/मरोड़/खूनी दस्त और पीलिया आदि होने की आशंका होती है, जबकि रोगों की बात करें तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाज़मोसिस, अनीमिया, मुंह-खुर रोग, मैगनीश्यिम की कमी, सिक्के का जहर, रिंडरपैस्ट (शीतला माता), ब्लैक क्वार्टर, निमोनिया, डायरिया, थनैला रोग, पैरों का गलना, और दाद आदि होने की आशंका होती है.