Ghumusari Cow Dairy Farming: घुमुसारी एक देसी नस्ल है जो ओडिशा के गंजम के भंजनगर (घुमुसारी) उप-मंडल और फुलबनी जिले के आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है. वहीं घुमुसारी नस्ल का नाम उसके मूल स्थान घुमसूर क्षेत्र से लिया गया है. ओडिशा के बिंझारपुरी और खरियार मवेशियों की तरह ही घुमुसरी गाय को भी 'देशी' नाम से जाना जाता है. घुमुसारी नस्ल मुख्य रूप से भारवाहक मवेशियों की नस्ल है, हालांकि कभी-कभी इन्हें दूध और खाद के लिए भी पाला जाता है. वहीं इन मवेशियों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है, जिसका मुख्य कारण देशी क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण बैलों की अनुपलब्धता है. इस गिरावट को रोकने और नस्ल के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं.
एनडीडीबी के अनुसार, घुमुसारी नस्ल की गाय एक ब्यान्त में न्यूनतम 450 लीटर और अधिकतम 650 लीटर तक दूध देती है. वहीं इसके दूध में न्यूनतम 4.8 प्रतिशत और अधिकतम 4.9 प्रतिशत फैट यानी वसा पाया जाता है. ऐसे में आइए घुमुसारी गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं-
• यह एक छोटे आकार की, मजबूत नस्ल है.
• घुमुसारी नस्ल के मवेशियों का रंग ज्यादातर सफेद होता है, हालांकि कभी-कभी सिल्वर ग्रे रंग भी होता है.
• सिर छोटा और चपटा होता है, माथा चौड़ा और आंखों के बीच दबा हुआ होता है.
• कूबड़ मध्यम आकार का लेकिन विकसित होता है.
• पूंछ काले स्विच के साथ पतली होती है; खुर सुडौल, काले और गोल होते हैं.
• सींग छोटे से लेकर मध्यम आकार के, बाहर, ऊपर और अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं, हालांकि कुछ मवेशियों के सींग सीधे भी होते हैं.
• कान मध्यम आकार के और ट्यूबलर होते हैं.
• थन का आकार छोटा होता है और मध्यम दूध की नसें कम उभरी होती हैं.
• बैलों की औसत ऊंचाई 108 सेमी और गायों की ऊंचाई 103 सेमी होती है.
• बैलों की शरीर की लंबाई औसतन 116 सेमी और गायों की 107 सेमी होती है.
• बैल के शरीर का वजन औसतन 200-250 किलोग्राम और गाय का वजन 150-200 किलोग्राम होता है.
• दूध में औसत वसा न्यूनतम 4.8 प्रतिशत और 5 प्रतिशत के बीच होती है.
• प्रथम ब्यांत के समय औसत आयु लगभग 42 महीने होती है.
• इस नस्ल का ब्यांत अंतराल लगभग 13 महीने का होता है.
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गायें आमतौर पर स्वभाव से विनम्र होती हैं. चूंकि यह नस्ल मुख्य रूप से भारवाहक मवेशियों की नस्ल है, इसलिए दूध और खाद के लिए बहुत कम जानवरों का पालन-पोषण किया जाता है. दूध देने वाली गायों और बैलों को भूसा, चावल की भूसी और रसोई का कचरा खिलाया जाता है. ये मवेशी गर्मी सहने वाले होते हैं और इनमें बीमारियां बहुत कम होती हैं. ये बहुत कम गुणवत्ता वाले फीड पर भी रह लेते हैं.