ग्रामीण क्षेत्रों में पोल्ट्री का व्यवसाय लगातार फल-फूल रहा है. इस व्यवसाय से जुड़कर कई युवा गांव में ही रहकर एक अच्छी कमाई कर रहे हैं. वहीं कई ऐसे युवा हैं, जो बाहर में नौकरी करने से बेहतर खुद का व्यवसाय करने में विशेष दिलचस्पी दिखा रहे हैं. भोजपुर जिला के कोईलवर के रहने वाले चार दोस्त निर्भय कुमार, रजनीश कुमार,अभिषेक कुमार और अनुज कुमार कोरोना के समय सोशल मीडिया के जरिये पोल्ट्री के व्यवसाय की जानकारी हासिल किए.
आज मुर्गी पालन, बत्तख पालन और हैचरी के बिजनेस से करीब महीने का डेढ़ लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं. ये खुद तो आत्मनिर्भर बन ही रहे हैं. साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 50 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं.
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बीएड की पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी टीचर का सपना संजोये निर्भय कुमार कहते हैं कि कोरोना के समय जहां मानो पूरी दुनिया ही सिमट गई हो. उस समय सोशल मीडिया के जरिये बत्तख पालन करने का विचार आया. उसके बाद उनके तीन दोस्तों ने मिलकर बत्तख पालन शुरू किया. निर्भय सहित उनके अन्य साथियों ने जिले के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से ट्रेनिंग लेने के बाद पोल्ट्री के व्यवसाय में कदम रखा. वहीं इनके दोस्त रजनीश कुमार कहते हैं कि बत्तख के साथ मुर्गी में सोनाली और कड़कनाथ का पालन किया जा रहा है. साथ ही बिहार सहित देश के अन्य राज्यों में अपनी हैचरी से मुर्गी, बत्तख, बटेर का चूजा बेचा जाता है. आज के समय में सरकारी नौकरी मिलना आसान नहीं है. इसलिए नौकरी के पीछे भागने से बढ़िया है कि गांव में रहकर खुद का व्यवसाय किया जाए. इसी के जरिये एक बेहतर भविष्य की पटकथा लिखी जाए.
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निर्भय कुमार कहते हैं कि उनका फार्म करीब 10 कट्ठे में है, जहां हाल के समय में करीब 1500 बत्तख, देसी मुर्गी 1300 और कड़कनाथ करीब 300 से 400 के बीच में हैं. साथ ही हैचरी का भी प्लांट लगाया गया है. इन सभी से हाल के समय में करीब शुद्ध कमाई डेढ़ लाख से अधिक की है. उनके फार्म पर 7 लोगों को 10 से 13 हजार रुपए के बीच सैलरी पर रखा गया है. इसके साथ ही 40 से अधिक लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर कार्य कर रहे हैं.
पोल्ट्री के क्षेत्र में बत्तख पालन कमाई का एक बढ़िया माध्यम है. इसका अंडा और मीट से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. वहीं युवा किसान रजनीश कुमार के अनुसार बत्तख 4 से 5 महीने के बाद हर रोज करीब एक अंडा देने के लिए तैयार हो जाता है. वहीं सालाना करीब 300 के आसपास अंडा ढाई से तीन साल तक निरंतर देती है. जहां एक बत्तख पर अंडा देने तक खर्च करीब तीन से साढ़े तीन सौ के आसपास आता है और एक अंडा करीब 12 रुपये से अधिक मूल्य पर बिकता है. वहीं हैचरी के कारोबार में अंडा से चूजा तैयार करने में 14 से 15 रुपये तक खर्च आता है. जिसे बाजार में 22 से 27 रुपये तक बत्तख,मुर्गी और बटेर का चूजा आसानी से बेचा जा सकता है.