Animal Husbandry: पशुपालन बढ़ाने के लिए अमूल के पूर्व एमडी ने दिए ये टिप्स, पढ़ें डिटेल 

Animal Husbandry: पशुपालन बढ़ाने के लिए अमूल के पूर्व एमडी ने दिए ये टिप्स, पढ़ें डिटेल 

Tips for Animal Husbandry अगर डेयरी सेक्टर से जुड़ी चुनौतियों का हल निकाला जाता है तो दूध उत्पा़दन भी बढ़ेगा और बाजार में डिमांड भी बढ़ेगी. लेकिन जरूरी है कि उत्पादन के साथ ही बाजार की डिमांड पर भी ध्यान दिया जाए. 50 साल में डेयरी कारोबार 10 गुना तक हो गया है. 

भैंस की टॉप 4 नस्लेंभैंस की टॉप 4 नस्लें
नासि‍र हुसैन
  • Delhi,
  • Nov 11, 2025,
  • Updated Nov 11, 2025, 3:29 PM IST

Tips for Animal Husbandry डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो पशुपालन करने वाले डेयरी किसानों की संख्या घट रही है. नई पीढ़ी पशुपालन में कम आ रही है. जिसके चलते खासतौर पर छोटे डेयरी किसान पशुपालन को छोड़ रहे हैं. हालांकि पशुओं की संख्या के चलते भारत कुल दूध उत्पादन में विश्व में पहले नंबर पर है. हर साल दूध उत्पादन बढ़ रहा है. बाजारों में डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड भी बढ़ रही है. विदेशों से भी डिमांड आ रही है, लेकिन किन्हीं वजहों से उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है. 

लेकिन दूध उत्पादन बढ़ने की रफ्तार बरकरार कैसे रहे और कैसे इस रफ्तार को और बढ़ाया जाए इस पर चर्चा ज्यादा हो रही है. इस बारे में अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी ने डेयरी सेक्टर के सामने आ रहीं कुछ चुनौतियों का जिक्र किया है. उनका कहना है कि इन्हें दूर किए बिना डेयरी किसानों को पशुपालन में रोकना मुश्किल है.  

किसान को पशुपालन में रोकने के दिए टिप्स 

  • तीन-चार गाय-भैंस का पालन करने वाले किसान को कुछ बच नहीं पाता है. 
  • दूध की कमाई का एक बड़ा हिस्सा चारे में खर्च हो जाता है. 
  • डेयरी फार्म के लिए बिजली भी बहुत महंगी मिलती है. 
  • आज डेयरी किसान के बच्चे पशुपालन में नहीं आना चाहते हैं. 
  • बच्चे पशुपालन से बेहतर वो नौकरी करना समझते हैं. 
  • पशुपालन अनर्गेनाइज्ड होने के चलते दूध उत्पादन की लागत ज्यादा आती है. 
  • दूसरी ओर डेयरी बाजार की डिमांड बदल गई है. 
  • अब सबसे पहले हेल्दी प्रोडक्ट की तलाश की जाती है. 
  • छोटे शहरों से डेयरी प्रोडक्ट में नई तरह की डिमांड आने लगी हैं. 
  • दूध की लागत दूध का उत्पादन बढ़ाकर ही कम की जा सकती है. 
  • साइंटिस्ट को कम लागत वाला ऐसा फीड तैयार करना होगा. 
  • फीड ऐसा हो जिससे खाकर भैंस का दूध उत्पादन बढ़ जाए. 
  • पशुपालन में पानी-बिजली की खपत कम करनी होगी. 
  • चारा भी ऐसा तैयार करना होगा जिसे खाने के बाद मीथेन गैस का उत्सार्जन कम हो. 
  • गोबर का इस्तेमाल ऐसा हो जिससे पशुपालक को अच्छे दाम मिल जाएं. 
  • अच्छी और किफायती ब्रीडिंग टैक्नोलॉजी तैयार करनी होगी.

45 करोड़ रुपये का है देश में फूड बाजार 

डॉ. सोढ़ी का कहना है कि बाजार की बात करें तो देश में सालाना 45 लाख करोड़ रुपये का फूड कारोबार है. आज ग्राहक की डिमांड एनिमल बेस्ड फूड की है. जिससे प्रोटीन और फैट दोनों ही मिले. ग्राहक को आज ऐसा प्रोडक्ट चाहिए जो स्वादिष्ट, हेल्दी होने के साथ ही उसके बजट का हो. ग्राहक आज ब्रांडेड और पैक्ड आइटम पर बहुत जोर देता है. खासतौर से छोटे पैकडी आइटम पर. क्योंकि छोटे शहरों से पैक्ड आइटम की बहुत डिमांड आ रही है. इतना ही नहीं, हमे ग्राहक को ये भी भरोसा दिलाना होगा कि वो नकली, सिंथेटिक और केमिकल बेस्ड फूड नहीं खा रहा है.

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