अजोला जितना इंसानों के लिए फायदेमंद है उससे कहीं ज्यादा चारे के रूप में पशुओं और पक्षियों को भी फायदा पहुंचा रहा है. पोल्ट्री में फीड के साथ-साथ अजोला भी खिलाया जा रहा है. गाय-भैंस और भेड़-बकरियों को अजोला खिलाने के बाद तो दूध उत्पादन के अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं. साथ ही मीट उत्पादन भी क्वालिटी का हो रहा है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अजोला पशुओं के लिए जरूरी पौष्टिक चारे की जरूरत को पूरा कर रहा है. क्योंकि अजोला प्रोटीन से भरपूर चारा है.
यही वजह है कि हरे और सूखे दोनों तरह के चारे की कमी, पोल्ट्री में मक्का के बढ़ते दाम के चलते होने वाली परेशानी से निपटने के लिए ही फोडर एक्सपर्ट अजोला को इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. क्योंकि अजोला को कम जमीन होने पर पोल्ट्री और डेयरी फार्म के अंदर भी उगाया जा सकता है. छोटी उपज की फसल होने के चलते उत्पादन के दौरान कुछ ऐहतियात बरती जाए तो इसे बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है.
अजोला उत्पादन में इन बातों का रखें ख्याल
- खुले या बंद एरिया में अजोला उत्पादन करें, लेकिन उसे 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है.
- 30 डिग्री से ज्यादा तापमान से अजोला को बचाने के लिए छायादार जगह में उत्पादन करें जहां सूरज की रोशनी सीधे ना पड़ती हो.
- अजोल के सभी गड्ढे के कोनों को समतल में रखना चाहिए जिससे बारिश के दौरान परेशानी ना हो.
- अजोला का हर रोज का न्यूनतम उत्पादन 300 ग्राम से 350 ग्राम प्रति वर्गमीटर रखें.
- गड्ढे में समय-समय पर गाय का गोबर और सुपर फॉस्फेट डालते रहना चाहिए.
- कीटनाशक और फफूंदनाशक दवाओं का उपचार जरूरत पड़ने पर फौरन करना चाहिए.
- हर 30 दिनों के बाद अजोला की पुरानी मिट्टी को ताजा करीब 5 किलो मिट्टी से बदलते रहना चाहिए.
- अजोला की मिट्टी बदलते रहने से उसे नाइट्रोजन की अधिकता और लघु खनिजों की कमी होने से बचाया जा सकता है.
- हर 10 दिन के बाद एक बार अजोला के गड्ढे में 25 से 30 फीसद पानी को ताजे पानी से बदल देना चाहिए जिससे नाइट्रोजन की मात्रा ना बढ़े.
- हर छह महीने पर एक बार अजोला तैयार करने वाले गड्ढे को पूरी तरह से खाली कर साफ करना चाहिए.
- हर छह महीने में एक बार अजोला के गड्ढे को खाली कर उसमे पानी, गोबर और अजोला कल्चर डालना चाहिए.
- अजोला पर अगर कीट या फफूंद का हमला होता है तो नये सिरे से नयी जगह पर नये अजोला कल्चर के साथ उत्पादन शुरू करना चाहिए.
- अजोला तैयार करने वाले गड्ढे या टंकी में पानी के पीएच मान का समय-समय पर परीक्षण करना चाहिए.
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