वैसे तो गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी, सभी को तीन तरह की खुराक खाने में दी जाती है. पहला हरा और सूखा चारा, दूसरा दाना और तीसरा मिनरल्स. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर चारा पशु की पसंद का हो और उसके तरीके से उसे खिलाया जाए तो उससे पेट तो भरता ही है, साथ में दवाई का काम भी करता है. क्योंकि तीनों ही तरह की खुराक में हरा चारा ऐसी खुराक है जो सभी पशुओं में दूध का उत्पादन तो बढ़ाता ही है, साथ में बकरे-बकरी की ग्रोथ भी बढ़ता है. हरा चारा पेट भरने के साथ ही बहुत सारे मिनरल्स, प्रोटीन और खास विटामिन की जरूरतों को भी पूरा करता है.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के साइंटिस्ट का मानना है कि अगर हरा चारा वक्त से और सही तरीके से खिलाया जाए तो बकरे-बकरी में इसके और भी बहुत सारे फायदे होते हैं. दूध और मीट के लिए पाले जाने वाले सभी पशुओं के लिए एनिमल एक्सपर्ट की ओर से हरे चारे की मात्रा तय की गई है. यह मात्रा पशु की उम्र, उसके वजन के आधार पर तय होती है. अगर तय मात्रा कम रह जाए और बिल्कुल भी खाने को नहीं दिया तो इसका असर पशु के उत्पादन पर पड़ता है.
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि गाय-भैंस और भेड़ के मुकाबले हरे चारे को बकरी थोड़ा अलग तरीके से खाती है. आप सामान्य तौर पर जब भी बकरी को हरा चारा खाते देखेंगे तो पाएंगे कि बकरी मुंह ऊपर की ओर करके हरे चारे को बड़े ही चाव से खाती है. ऐसा करना बकरी को तो अच्छा लगता ही है, लेकिन कोई भी चीज जब चाव से खाई जाती है तो वो शरीर को और ज्यादा फायदा पहुंचाती है.
इसलिए बकरे और बकरियों को हरा चारा खिलाने के दौरान कोशिश करें कि उसे खुले मैदान, जंगल या खेत में ले जाएं. अगर यह सब मुमकिन न हो तो हरे चारे का गट्ठर बनाकर बकरी के सामने उसे थोड़ा ऊंचाई पर टांग दें या फिर बकरी की हाइट से थोड़ा ऊपर रख दें. कहने का मतलब यह है कि चारे को जमीन पर न डालें. नीचे गर्दन करके हरा चारा खाने में बकरी को मजा नहीं आता है.
ये भी पढ़ें-Dairy Plan and War: लड़ाई के दौरान देश में नहीं होगी दूध-मक्खन की कमी, ये है डेयरी का प्लान
ये भी पढ़ें-Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा