Poultry Chicken: चिकन के लिए जिंदा मुर्गे में भी होती है मिलावट, बाजार में ऐसे करें पहचान 

Poultry Chicken: चिकन के लिए जिंदा मुर्गे में भी होती है मिलावट, बाजार में ऐसे करें पहचान 

Poultry Chicken ब्रायलर मुर्गे के मुकाबले लेयर बर्ड बहुत सस्ती होती है. हालांकि मुर्गों में होने वाली मुर्गियों की मिलावट को पकड़ना कोई नामुमकिन नहीं है. अगर दोनों के बीच शरीरिक बनावट के अंतर को पहचान लिया जाए तो आसानी से अंडे देने वाली मुर्गी को पहचाना जा सकता है. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 24, 2025,
  • Updated Dec 24, 2025, 4:59 PM IST

क्रिसमस और न्यू ईयर की आहट से ही पार्टियों का सिलसिला शुरू हो जाता है. खाने-खि‍लाने का दौर चलता है. हफ्तों तक पार्टियां चलती हैं. और इन्हीं पार्टियों में शामिल रहता है चिकन. नॉनवेज खाने वालों के लिए चिकन के बिना पार्टी अधूरी रहती है. यही वजह है कि दिसम्बर-जनवरी में चिकन की खूब बिक्री होती है. बाजार में लगातार चिकन की डिमांड बनी रहती है. और चिकन बेचने वाले कुछ मिलावटखोर इसी डिमांड का फायदा उठाते हैं. चिकन के लिए ब्रायलर मुर्गे पाले जाते हैं. लेकिन मिलावटखोर ब्रायलर मुर्गे की जगह अंडे देने वाली लेअर मुर्गी बेच देते हैं. ब्रायलर मुर्गे के मुकाबले लेअर मुर्गी बहुत सस्ती मिलती है. इसी का फायदा उठाने के लिए मिलावटखोर मुर्गे की जगह मुर्गी बेच देते हैं.

जिंदा मुर्गे में भी मिलावट हो सकती है. बेशक ये नामुमकिन सी बात लगती हो, लेकिन ये हकीकत है. जब अंडा देने वाली मुर्गी अंडा देना बंद या बहुत कम कर देती है तो उसे कटने के लिए बेच‍ दिया जाता है. चिकन के लिए ब्रालयर मुर्गा पाला जाता है. 30 दिन में ब्रायलर चूजा 900 से 1150 ग्राम का हो जाता है. आमतौर पर 40 दिन तक का मुर्गा बाजार में बेच दिया जाता है. ये चिकन में इस्तेमाल होता है. वजन के हिसाब से इसके रेट तय होते हैं. जबकि अंडा देने वाली मुर्गी तीन से साढ़े तीन साल तक अंडा देती है और उसके बाद रिटायर हो जाती है. 

ऐसे खाया जाता है ब्रायलर चिकन

पोल्ट्री एक्सपर्ट अजय सिंह ने किसान तक को बताया कि ब्रायलर चिकन वो है जो बाजारों में चिकन फ्राई, चिकन टंगड़ी, चिकन टिक्का और तंदूरी चिकन के नाम से बिकता है. चिकन बिरयानी भी इसी की बनती है. खासतौर पर चिकन करी के लिए घरों में भी यही बनाया जाता है. बाजार में आजकल फ्रेश ब्रायलर चिकन का भाव 200 रुपये किलो से लेकर 350 रुपये तक चल रहा है. 

ऐसे की जा सकती है मुर्गे में मुर्गी की मिलावट 

  • लेयर बर्ड पतली-दुबली, पौने दो किलो वजन तक की होती है.
  • ब्रायलर मुर्गा 900 ग्राम से लेकर तीन किलो वजन तक का होता है. 
  • लेयर बर्ड के शरीर पर चर्बी नहीं होती है.
  • मोटा ताजी होने के चलते ब्रायलर के शरीर पर चर्बी होती है. 
  • लेयर बर्ड के शरीर पर घने पंख होते हैं.
  • जबकि ब्रायलर के शरीर पर पंख बहुत ही कम होते हैं. 
  • लेयर के सिर पर लाल गहरे सुर्ख रंग की बड़ी सी झुकी हुई कलंगी होती है.
  • ब्रायलर में बहुत छोटी कलंगी होती है. रंग भी थोड़ा दबा हुआ होता है.
  • लेयर के पंजे यानि पैर पतले होते हैं.
  • ब्रायलर मुर्गे के पंजे मोटे होते हैं. 
  • लेयर मुर्गी काफी फुर्तीली होती है. खुला छोड़ने पर पकड़ना मुश्किल होता है.
  • वजनी और मोटा होने के चलते ब्रायलर मुर्गा दौड़ नहीं सकता है. 
  • पकाने के दौरान लेयर मुर्गी का मीट अच्छी तरह से गलता नहीं है. 
  • ब्रायलर मुर्गे का मीट आसानी से पक जाता है.  

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