2024-25 तक 220 लाख टन मछली उत्पादन का लक्ष्य, कोच्चि में केन्द्रीय मंत्री ने बताया तरीका 

2024-25 तक 220 लाख टन मछली उत्पादन का लक्ष्य, कोच्चि में केन्द्रीय मंत्री ने बताया तरीका 

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) और केंद्रीय मत्स्य पालन नौवहन एवं अभियांत्रिकी प्रशिक्षण संस्थान (CIFNET) का दौरा करते हुए बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से2121 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया गया है. इससे मछुआरे मछली पकड़ने के लिए जरूरी उपकरण और नाव खरीद सकते हैं. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Aug 27, 2024,
  • Updated Aug 27, 2024, 11:30 AM IST

‘बीते साल देश में 175 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ था. लेकिन साल 2024-25 के लिए हमारा लक्ष्य है इसे 220 लाख टन तक पहुंचाने का. इसके लिए मछली पालन से लेकर समुद्र में मछली पकड़ने वाले मछुआरों को केन्द्र सरकार की तरफ से हर संभव मदद दी जा रही है. हाल ही में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत लक्ष्य को पूरा करने के लिए 1149 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. क्योंकि मछली उत्पादन को बढ़ावा देना, मछुआरों की इनकम को बढ़ाना और बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाना हमारी सरकार की प्रमुख प्राथमिकताएं हैं.’ ये कहना है केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल का. बीते दिनों उन्होंने कोच्चि़ में केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) और केंद्रीय मत्स्य पालन नौवहन एवं अभियांत्रिकी प्रशिक्षण संस्थान (CIFNET) का दौरा किया.

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि केन्द्र की PMMSY योजना मछली पालन, फिश प्रोसेसिंग यूनिट और मछली पकड़ने की आधुनिक तकनीकों के लिए सब्सिडी और वित्तीय मदद करती है. वहीं किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मछली पालन में निवेश बढ़ाने और और आरामदायक बनाने के लिए सरकार मछुआरों और मछली पालकों को मार्च 2024 तक तीन लाख से ज्यादा केसीसी जारी कर चुकी है. 

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पकड़ने के बाद अब खराब नहीं होती मछली-मंत्री

एसपी सिंह बघेल ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ साल पहले तक मछली पकड़ने वालों के साथ एक बड़ी परेशानी ये थी कि वो पकड़ने के साथ ही जल्दी खराब भी हो जाती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. मछली पालन और एक्वाकल्चर बुनियादी ढांचा विकास कोष (AFAIDF) की मदद से अत्याधुनिक मछली लैंडिंग केंद्र, कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं और फिश प्रोसेसिंग यूनिट तैयार किए गए हैं, जिससे करीब 3.3 लाख मछुआरों को फायदा मिलता है. इससे पकड़ने के बाद खराब होने वाली मछली के नुकसान को कम करने में मदद मिलती है. वहीं बाजार में मछली की क्वालिटी और उपलब्धता बढ़ी है. 

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इस तकनीक से बढ़ रहा मछली उत्पादन 

एसपी सिंह बघेल ने बताया कि समुद्री पिंजरे में फिनफिश की खेती, समुद्री शैवाल की खेती और एकीकृत मल्टीट्रॉफिक एक्वाकल्चर (IMTA) प्रणाली मछली पालन करने वाले समुदाय को अपनी इनकम बढ़ाने में मदद करती है. इसके अलावा, खेती और बीज उत्पादन के सेक्टर में एंटरप्रेन्योरशि‍प की संभावनाओं को बढ़ाती हैं. आज फिशरीज सेक्टर में बड़ी संख्या में स्टॉर्टअप आ रहे हैं. जिसका फायदा मछली पालक और मछुआरों दोनों को ही मिल रहा है.  

 

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