पशुओं को तनाव देने वाले मौसम की शुरुआत हो चुकी है. वैसे तो गर्मियों का मौसम भी पशुओं को तनाव देता है, लेकिन ये मौसम कई मायनों में पशुओं और पशुपालकों के लिए बहुत खास माना जाता है. इस मौसम में पशुओं का उत्पादन तो बढ़ता ही है, साथ में री-प्रोडक्शन भी होता है. और एक बड़ी बात ये कि इस दौरान पशुओं की खरीद-फरोख्त भी खूब होती है. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो ये वो मौसम भी है जब कई तरह की बीमारियां गाय-भैंस में आती हैं. कुछ मौसमी बीमारियां तो पशुओं के लिए जानलेवा तक हो जाती हैं.
पशुपालक को इसका खामियाजा आर्थिक नुकसान के रूप में उठाना पड़ता है. दूध उत्पादन कम होने के साथ ही दवाईयों का खर्च बढ़ जाता है. लेकिन कुछ ऐहतियाती कदम उठा लिए जाएं तो आर्थिक नुकसान से बचने के साथ ही पशुओं को हेल्दी भी रख सकते हैं. बदलते मौसम में पशुओं की खास देखभाल के लिए ये जरूरी है कि उन्हें हरा चारा देने के तरीके, मिनरल्स में किन चीजों को शामिल करना है, पीने का पानी कैसे और कब देना है, साथ ही दिनभर में खुराक कितनी बार और किस वक्त पर देनी है इसका प्लान बना लिया जाए.
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