तालाब में पलने वाली मछलियों को हाथ से फीड (दाना) खिला दिया और हो गया काम. या फिर थर्मामीटर से पानी का तापमान चेक कर लिया तो काम चल जाएगा. बेशक इस पुराने तरीके से पहले मछली पालन हो जाता होगा, लेकिन अब ये तरीका बिल्कुल भी काम का नहीं है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो आज का मछली पालन हाईटेक हो गया है. अब तालाब में जाल चलाकर मछलियों की जांच नहीं की जाती है, बल्किछ कैमरे और सेंसर की मदद से मछलियों की हैल्थ चेक की जा रही है. ऐसी ही दो तकनीक ने मछली पालन में दो काम बहुत आसान कर दिए हैं.
इस नई तकनीक से जहां पानी का तापमान चेक कर लिया जाता है तो वहीं मछलियों की बीमारी भी बड़ी ही आसानी से और जल्दी पकड़ में आ जाती है. वो भी तालाब से दूर लैपटॉप के सामने अपने ऑफिस में बैठकर एक क्लिक पर ये सब देखा जा सकता है. करना बस ये होगा कि आज से ही अपने फिश फार्म पर ड्रोन का इस्तेमाल शुरू कर दें. साथ ही अपनी जरूरत के हिसाब से ड्रोन में कैमरे और सेंसर भी लगवा सकते हैं. इससे जहां समय और पैसों की बचत होगी, वहीं मछलियों की ग्रोथ भी तेजी से बढ़ेगी.
फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो मछलियों के तालाब का पानी सामान्य रहना चाहिए. मतलब जैसी मछली है उसी हिसाब से पानी का तापमान रहना चाहिए. मछलियों को बहुत ज्यादा ठंडा और ज्यादा गर्म पानी भी नहीं चाहिए होता है. इसलिए मछली पालक तालाब में पानी को सामान्य तापमान पर रखने के लिए कई तरह के उपाय अपनाने होते हैं. इसके लिए पानी को कई बार जांचना पड़ता है. इस काम के लिए अभी तक थर्मामीटर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ड्रोन में लगा सेंसर पानी के तापमान की रिपोर्ट आपके मोबाइल या फिर लैपटॉप पर भेज देता है. पानी प्रदूषित है ये रिपोर्ट भी ड्रोन में लगे सेंसर बता देते हैं.
तालाब पर उड़ने के दौरान ड्रोन में लगे कैमरे उसकी तस्वीर भेजते रहते हैं. तालाब पर बहुत नीचे ड्रोन लाने पर उसमे मौजूद मछलियां भी साफ-साफ दिखाई देने लगती हैं. इससे मछलियों की प्रमुख बीमारी लाल धब्बा भी दिखाई देने लगती है. या फिर मछलियां तालाब में कैसा व्यवहार कर रही हैं ये भी पता चल जाता है. मछलियों में दवाई का छिड़काव भी ड्रोन से किया जा रहा है. तालाब में दवाई का छिड़काव करते वक्त यह ख्याल रखना पड़ता है कि सभी मछलियां दवाई के प्रभाव में आ जाएं. लेकिन हाथ से दवाई का छिड़काव कैसे भी कर लो तालाब में कुछ न कुछ मछलियां छूट ही जाती हैं.
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