भारत दूध उत्पादन के मामले में बीते कई साल से लगातार नंबर वन है. इसके बाद भी लगातार दूध उत्पादन बढ़ रहा है. अगर डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो दूध का उत्पादन लगातार 4.5 से लेकर पांच फीसद की दर से हर साल उत्पादन बढ़ रहा है. अगर वर्ल्ड लेवल पर कुल दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी की बात करें तो वो 25 फीसद है. जबकि साल 2047 तक यही आंकड़ा डबल से भी ज्यादा हो जाने की उम्मीद डेयरी सेक्टर लगा रहा है. लेकिन इस सब के बीच डेयरी सेक्टर में एक बड़ी परेशानी ये है कि पशुपालक आज भी दूध से अच्छा मुनाफा कमाने की आस लगाए हुए हैं.
पशुपालन में दूध पर आने वाली लागत का 70 फीसद खर्च चारे पर होता है. इस खर्च को कम या कंट्रोल करना पशुपालक के हाथ में है नहीं. लेकिन इस परेशानी से निपटने के लिए कोशिश यह हो रही है कि लागत के मुकाबले उत्पादन को बढ़ाया जाए. ज्यादा दूध के लिए अच्छी खुराक तो पशुओं को खिलानी ही होगी. इसलिए जरूरी है कि ऐसा चारा तैयार किया जाए जिससे प्रति किलोग्राम चारे में दूध का उत्पादन बढ़े.
डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा वक्त में भारत 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन कर रहा है. और उम्मीद है कि 2047 तक देश में करीब 63 करोड़ टन दूध का उत्पादन होने लगेगा. जैसा की उम्मीद है तो ऐसा होने पर ये विश्व दूध उत्पादन का 45 फीसद हिस्सा होगा. और इतना ही नहीं 63 करोड़ टन उत्पादन होने पर 10 करोड़ टन दूध देश में सरप्लस हो जाएगा. वहीं ये भी उम्मीद है कि 2047 तक विश्व व्यापार का दो तिहाई हिस्सा भारत का होगा. लेकिन दूध उत्पादन बढ़ने के साथ ही हमे उसकी खपत और पशुपालक की लागत संग उसके मुनाफे के बारे में भी सोचना होगा.
क्योंकि हर साल अच्छी दर से दूध उत्पादन बढ़ रहा है तो इसकी खपत का बढ़ना भी जरूरी है. खपत बढ़ेगी तो कीमत बढ़ेगी. और रणनीति ये होनी चाहिए कि दूध की कीमतें खाद्य मुद्रास्फीति दर से ज्यादा न बढ़ें. वहीं पशुपालकों के बारे में इस तरफ भी सोचना होगा कि प्रति किलोग्राम चारे में दूध उत्पादन को बढ़ाया जाए. और ये सब मुमकिन होगा अच्छी ब्रीडिंग और चारे में सुधार लाकर. आज पशुपालक अपने दूध के दाम ज्यादा और चारे के दाम कम कराना चाहता है. क्योंकि अगर दूध की लागत 100 रुपये लीटर आ रही है तो उस में 70 रुपये तो सभी तरह के चारे और खुराक पर ही खर्च हो जाते हैं.
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