गर्मियों में ही नहीं बरसात में भी घटता है गाय-भैंस का दूध, नुकसान से बचने के लिए करें ये उपाय

गर्मियों में ही नहीं बरसात में भी घटता है गाय-भैंस का दूध, नुकसान से बचने के लिए करें ये उपाय

गाय-भैंस का दूध कम होना एक परेशानी और नुकसान के रूप में दिखता है. लेकिन इस वजह के चलते पशुपालकों को कई और तरह के नुकसान उठाने पड़ते हैं. दूध कम होने पर भी पशु चारा उतना ही खाता है. बीमारी पर होने वाला खर्च अलग से जिसके चलते दूध उत्पादन कम होता है. 

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नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jul 09, 2024,
  • Updated Jul 09, 2024, 2:09 PM IST

अगर सर्दियों के मौसम को छोड़ दें तो बाकी बचे दो मौसम गर्मी-बरसात में छोटी से छोटी वजह के चलते गाय-भैंस का दूध उत्पादन कम हो जाता है. गर्मियों में हीट स्ट्रेस और चारे की कमी के चलते तो बरसात में संक्रमित बीमारियों की वजह से दूध उत्पादन कम हो जाता है. खासतौर से बरसात के दिनों में पशुपालकों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. एक तो गाय-भैंस के बीमार होने पर उसके इलाज में होने वाला खर्च और दूसरे बीमारी के चलते दूध उत्पादन घटने से होने वाला नुकसान. 

एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं के रखरखाव में थोड़ी सी सजगता के चलते इस तरह के दोहरे नुकसान से बचा जा सकता है. खासतौर से अगर हम पशु शेड में साफ-सफाई का ध्यान रखने के साथ ही शेड की मरम्मत भी वक्त रहते करा लें. क्योंकि अगर बारिश का पानी शेड में जाएगा तो उससे तमाम तरह की बीमारियां फैलने का खतरा बना रहेगा. 

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पशु शेड से पानी नहीं बीमारी टपकती हैं  

एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो अगर बरसात के दौरान पशु शेड से पानी टपकता है तो ये मान लें कि वो पानी नहीं बीमारी है. अगर शेड से पानी टपकता है तो इसके चलते पशु परेशान रहते हैं. दूसरी सबसे बड़ी बात ये कि अगर शेड से टपका बारिश का पानी शेड के फर्श पर पड़ें गाय-भैंस के गोबर और मूत्र में जाकर मिलता है तो उसके चलते एक बड़ी बीमारी पनपने लगती है. बारिश का पानी गोबर-मूत्र में जाकर अमोनिया गैस पैदा करता है. इसके चलते एक तो आंखों में जलन होती है. इसी वजह के चलते कोक्सीडायोसिस होती है. और एक बात ये कि इस गंदगी में घंटों खड़े रहने के चलते पशुओं के खुरों में संक्रमण पैदा होने लगता है. इसी से खुरपका बीमारी भी होती है. 

शेड में फैलने लगते हैं बैक्टीरिया और होता है कृमि संक्रमण

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि बारिश के पानी के चलते शेड में कीचड़ जैसी स्थिकति हो जाती है. क्योंकि मॉनसून में बारिश लगातार कई-कई घंटे और दिनों तक होती रहती है. इसलिए ये गंदगी जल्द साफ नहीं हो पाती है. इसी वजह से इसमे बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. इनके चलते कई तरह की गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है. वहीं पशु को कृमि (पेट के कीड़) संक्रमण का खतरा भी बना रहता है. इसलिए बारिश शुरू होने से पहले, बीच और आखिरी में डिवार्मिंग जरूर कराना चाहिए.

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टिक और फ्लाई की परेशानी 

गंदगी और जलभराव के चलते पशु शेड में उमस हो जाती है. इसी उमस में टिक बड़ी ही तेजी से फैलते हैं. इस मौसम में टिक पशुओं का खून चूसते हैं. यह वजह पशुओं में एनीमिया बीमारी और मौत का कारण भी बनती है. बरसात में गंदगी और जलभराव के चलते मक्खी भी पशुओं को परेशानी करती है. इससे पशु तनाव में आ जाता है और दूध का उत्पादन कम हो जाता है.  

थनों में आ जाती है सूजन

बरसात के मौसम में दुधारू पशुओं के थनों में सूजन आ जाती है. नमी और गंदे पानी के चलते बरसात के मौसम में पशु शेड गंभीर रूप से पशुओं के थन में सूजन का कारण बनता है. इसके चलते भी दूध का उत्पादन कम होना शुरू हो जाता है. और कई बार तो पशु दूध देना पूरी तरह से बंद कर देते हैं. 
 

 

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