Biogas: बिजली पर निर्भर नहीं रहेंगे डेयरी प्लांट, सौर ऊर्जा के बाद अब गोबर गैस बनी विकल्प 

Biogas: बिजली पर निर्भर नहीं रहेंगे डेयरी प्लांट, सौर ऊर्जा के बाद अब गोबर गैस बनी विकल्प 

जानकारों का कहना है कि बरौनी डेयरी प्लांट में बायोगैस प्लांट के लिए ओएनजीसी फंड देगी और एनडीडीबी टेक्निकल सपोर्ट करेगा. एक्सपर्ट की मानें तो डेयरी प्लांट की थर्मल पावर जरूरत को पूरा करने के बाद बायोगैस में गोबर का जो घोल बचेगा उसका इस्तेमाल जैविक उर्वरक के रूप में खेतों में किया जाएगा. 

यह प्लांट प्रयागराज और आसपास के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगायह प्लांट प्रयागराज और आसपास के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 13, 2025,
  • Updated May 13, 2025, 1:01 PM IST

बिहार का बरौनी डेयरी प्लांट देश में एक मॉडल प्लांट के रूप में बनने जा रहा है. ये प्लांट डेयरी सेक्टर के लिए एक नजीर होगा. देश का ये पहला ऐसा डेयरी प्लांट होगा जो बिजली पर निर्भर नहीं रहेगा. और ये सब मुमकिन होगा नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से. हालांकि इसमे गैस कंपनी ओएनजीसी भी मदद कर रही है. एनडीडीबी का दावा है कि बरौनी डेयरी प्लांट पूरी तरह बायोगैस से चलने वाला प्लांट बनने जा रहा है. पहले फेज में बायोगैस से तैयार स्टीम प्लांट के एक खास हिस्से को सप्लाई की जाएगी. 

जल्द ही प्लांट में ये सिस्टम काम करने लगेगा. प्लांट में हर रोज 100 मीट्रिक टन बायोगैस तैयार होगी. गौरतलब रहे डेयरी प्रोडक्ट की लागत कम करने के लिए ही सौर ऊर्जा और बायोगैस पर काम हो रहा है. डेयरी एक्सपर्ट का मानना है कि जब तक डेयरी प्रोडक्ट को किफायती नहीं बनाएंगे तो घरेलू और एक्सपोर्ट बाजार में प्रोडक्ट की डिमांड नहीं बढ़ेगी. इसीलिए बिजली की खपत कम और खत्म करने के लिए डेयरी प्लांट में सौर ऊर्जा और बायोगैस का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है. 

सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला डेयरी प्लांट 

देश में सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला डेयरी प्लांट केरल में बन रहा है. एनडीडीबी के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह का कहना है कि प्लांट का 90 फीसद हिस्सा सौर ऊर्जा पर काम करेगा. ये प्लांट केरल सहकारी दूध विपणन महासंघ (मिल्मा) तैयार कर रही है. नया प्लांट एर्नाकुलम में तैयार हो रहा है. मीनेश शाह एर्नाकुलम संघ की त्रिपुनिथुरा डेयरी का दौरा करने के दौरान इस प्लांट के बारे में जानकारी ले चुके हैं. खास बात ये है कि इस प्लांट के लिए एनडीडीबी की ओर से भारत सरकार की डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (DIDF) योजना के तहत वित्तीय मदद दी गई है. एनडीडीबी के "रिवाइटलाइजिंग प्रॉमिसिंग प्रोड्यूसर्स ओन्ड इंस्टीट्यूशन" प्लान के तहत इसे चुना गया था.

जैविक उत्पादों का महत्व भी बताया 

बायोगैस प्लांट के बारे में बात करने के दौरान डॉ. मीनेश शाह ने ये भी बताया कि खेतों और पशुपालन में जैविक उत्पादों के उत्पादन के लिए जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल करें. इस बारे में नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (एनसीओएल) भी काम कर रही है. बायोगैस प्लांट से निकलने वाली स्लरी का खेतों में इस्तेमाल कर जैविक उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं. 

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