लड़ाई छोटी हो या बड़ी उसका असर देश की बहुत सारी सुविधाओं और कारोबार पर पड़ता है. क्योंकि लड़ाई के दौरान बिजली व्यवस्था और ट्रांसपोर्टशन पर बड़ा असर पड़ता है. और जब बिजली व्यवस्था और ट्रांसपोर्टशन प्रभावित होता है तो शहरों में दूध-मक्खन के प्रोडक्शन और सप्लाई पर भी असर पड़ता है. शहरों में दूध की कमी होने लगती है. खासतौर पर बच्चों और बुर्जुगों को हर रोज दूध की जरूरत होती है. इस परेशानी से बचने के लिए डेयरी ने इमरजेंसी प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है.
केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय समेत नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) डेयरियों संग मौजूदा हालात को लेकर बैठक कर चुके हैं. तैयारियों को लेकर चर्चा भी हो गई है. हरियाणा की वीटा डेयरी ने प्लान पर काम करना भी शुरू कर दिया है. वीटा के सीईओ संग हुई किसान तक की बातचीत में ये प्लान सामने आया है. प्लान के मुताबिक लड़ाई के दौरान देश में दूध और मक्खन की कोई कमी नहीं होने वाली है.
वीटा डेयरी, रोहतक के सीईओ चरन सिंह ने किसान तक को बताया कि हमने अपने सभी सेंटर पर मिल्क पाउडर की सप्लाई कर दी है. हर एक सेंटर पर तीन से चार टन मिल्क पाउडर रखा गया है. ये पाउडर आम शहरियों खासतौर से बच्चों और बुर्जुगों के काम आएगा. वहीं मक्खन की भी हमारे पास कोई कमी नहीं है. शहर और फौज के लिए जितना मांगा जाएगा हम सप्लाई करने को तैयार हैं. सरकार जब, जहां दूध-मक्खन पहुंचाने के लिए कहेगी हम सप्लाई दे देंगे. देश में इस वक्त 70 हजार टन मक्खन मौजूद है. इमरजेंसी के लिए 80 हजार टन की जरूरत होती है. जब सरकार बोल देगी तब 10 हजार टन का प्रोडक्शन और कर लिया जाएगा. मिल्क पाउडर 1.5 लाख टन चाहिए होता है तो देश में इस वक्त 2.5 लाख टन है.
वहीं अमूल के पूर्व एमडी और इंडियर डेयरी एसोसिएशन के लिए प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि डेयरी के मामले में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है. हर चीज हमारे पास मौजूद है. और अभी तो हालात ऐसे हैं कि लोकल लेवल की डिमांड को लोकल लेवल पर ही पूरा कर दिया जाएगा. मिल्क पाउडर की बात करें तो हमारे पास 2.5 लाख टन का स्टॉक है.
सीईओ चरन सिंह ने बताया कि जंग की तैयारी और हालात को देखते हुए डेयरियों के काम करने का समय बदल जाता है. सुबह की पहली किरन के साथ डेयरी कंपनी पशुपालकों से दूध का कलेक्शन शुरू कर देती हैं. जल्दी-जल्दी दूध खरीदकर कलेक्शन सेंटर और चिलर प्लांट पर जमा कर लिया जाता है. फिर डेयरी प्लांट पर पैकिंग कर उसे सूरज छिपने से पहले शहरों में सप्लाई के लिए भेज दिया जाता है.
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