Goat Farming: बकरियों की जान ले सकती है नीली जीभ बीमारी, जानें बचाव का उपाय

Goat Farming: बकरियों की जान ले सकती है नीली जीभ बीमारी, जानें बचाव का उपाय

बीमारियां पाई जाती हैं जिसके कारण बकरियों की मौत भी हो जाती है. उन्हीं जानलेवा बीमारियों में से एक है ब्लू टंग (नीली जीभ) डिजीज. तो चलिए जानते हैं कि अगर आपकी बकरी भी इस बीमारी का शिकार हो जाए तो क्या करें.

बकरियों में नीली जीभ की बीमारीबकरियों में नीली जीभ की बीमारी
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Aug 30, 2024,
  • Updated Aug 30, 2024, 4:21 PM IST

भारत जैसे देश में लोग जीवन जीने के कई तरीके अपनाते हैं. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की बात करें तो खेती और पशुपालन सबसे ऊपर है. ज्यादातर लोग अपना जीवन चलाने के लिए खेती और उससे जुड़ी चीजों पर निर्भर हैं. इनमें बकरी पालन सबसे ज्यादा प्रचलित है. दरअसल बकरियों को छोटी जगहों पर भी आसानी से पाला जा सकता है. इसे पालने का खर्च भी काफी कम है और यह पशुपालकों के लिए चलते-फिरते एटीएम की तरह काम करता है. आपको बता दें कि शहरी इलाकों में बकरे के मांस, छाल और दूध की मांग काफी ज्यादा है. जिसके चलते पशुपालक इसे पालना पसंद करते हैं.

लेकिन कई बार बकरियों में कुछ ऐसी बीमारियां पाई जाती हैं जिसके कारण बकरियों की मौत भी हो जाती है. उन्हीं जानलेवा बीमारियों में से एक है ब्लू टंग (नीली जीभ) डिजीज. तो चलिए जानते हैं कि अगर आपकी बकरी भी इस बीमारी का शिकार हो जाए तो क्या करें.

बकरियों में ब्लू टंग बीमारी

ब्लू टंग एक वायरल बीमारी है. यह हमारे देश में बकरियों की सबसे आम बीमारी है. लेकिन आपको बता दें यह मुख्य रूप से भेड़ों की बीमारी है. यह बीमारी क्यूलिकोइड्स प्रजाति के मच्छर के जरिए बीमार बकरी से स्वस्थ बकरी में फैलती है, जिसमें बुखार और मुंह/नाक की श्लेष्म झिल्ली में खून बहने लग जाता है और सूजन आ जाती है. होंठ, मुंह के अंदरूनी हिस्से जैसे जीभ, डेंटल पैड सूज जाते हैं. खुरों का ऊपरी हिस्सा भी सूज जाता है. आमतौर पर कुछ बकरियां अपने आप ठीक हो जाती हैं. वहीं लगभग 2-3 प्रतिशत बकरियां 1-8 दिनों के बाद मर भी जाती हैं. इस बीमारी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है.

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मच्छरों से फैलती है ये बीमारी

यह बीमारी मच्छरों से फैलती है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी रसायनों का छिड़काव किया जाना चाहिए. बाड़े में सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. बीमार पशुओं को अलग कर उनका इलाज करना चाहिए. इस बीमारी को फैलने से बचने के लिए रोगग्रस्त क्षेत्र से बकरियां नहीं खरीदनी चाहिए.

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बीमार पशु की पहचान

  • बकरी खाना-पीना बंद कर देती है. 
  • बकरी हर समय सुस्त रहती है. 
  • बकरियों का मुह सूख जाता है.  
  • वह झुंड में सबसे पीछे चलती है. 
  • बकरी का वजन दिन-प्रतिदिन कम होता जाता है. 
  • बकरी कमजोर दिखती है. 
  • शरीर की त्वचा और बाल झड़ने लगते हैं और त्वचा की चमक कम हो जाती है.
  • बकरियों के दांत किटकिटाने लगते हैं.
  • दूध का उत्पादन कम हो जाता है. 
  • उसे दस्त, कमजोरी और अन्य बीमारियां होती हैं.

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