भारत जैसे देश में लोग जीवन जीने के कई तरीके अपनाते हैं. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की बात करें तो खेती और पशुपालन सबसे ऊपर है. ज्यादातर लोग अपना जीवन चलाने के लिए खेती और उससे जुड़ी चीजों पर निर्भर हैं. इनमें बकरी पालन सबसे ज्यादा प्रचलित है. दरअसल बकरियों को छोटी जगहों पर भी आसानी से पाला जा सकता है. इसे पालने का खर्च भी काफी कम है और यह पशुपालकों के लिए चलते-फिरते एटीएम की तरह काम करता है. आपको बता दें कि शहरी इलाकों में बकरे के मांस, छाल और दूध की मांग काफी ज्यादा है. जिसके चलते पशुपालक इसे पालना पसंद करते हैं.
लेकिन कई बार बकरियों में कुछ ऐसी बीमारियां पाई जाती हैं जिसके कारण बकरियों की मौत भी हो जाती है. उन्हीं जानलेवा बीमारियों में से एक है ब्लू टंग (नीली जीभ) डिजीज. तो चलिए जानते हैं कि अगर आपकी बकरी भी इस बीमारी का शिकार हो जाए तो क्या करें.
ब्लू टंग एक वायरल बीमारी है. यह हमारे देश में बकरियों की सबसे आम बीमारी है. लेकिन आपको बता दें यह मुख्य रूप से भेड़ों की बीमारी है. यह बीमारी क्यूलिकोइड्स प्रजाति के मच्छर के जरिए बीमार बकरी से स्वस्थ बकरी में फैलती है, जिसमें बुखार और मुंह/नाक की श्लेष्म झिल्ली में खून बहने लग जाता है और सूजन आ जाती है. होंठ, मुंह के अंदरूनी हिस्से जैसे जीभ, डेंटल पैड सूज जाते हैं. खुरों का ऊपरी हिस्सा भी सूज जाता है. आमतौर पर कुछ बकरियां अपने आप ठीक हो जाती हैं. वहीं लगभग 2-3 प्रतिशत बकरियां 1-8 दिनों के बाद मर भी जाती हैं. इस बीमारी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है.
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यह बीमारी मच्छरों से फैलती है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी रसायनों का छिड़काव किया जाना चाहिए. बाड़े में सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. बीमार पशुओं को अलग कर उनका इलाज करना चाहिए. इस बीमारी को फैलने से बचने के लिए रोगग्रस्त क्षेत्र से बकरियां नहीं खरीदनी चाहिए.
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